कच्ची नहीं , बन्धन सी
मजबूती इतनी है दुलार की
भाई बहन के प्यार की
कुदरत का नूर बरसाती
इस रास्ते भी , भाई का प्यार सी
एक आँगन में पले
जोड़ती अनूठे सँसार सी
रँगीन रेशमी डोरी
दुआओं का बोलता भण्डार सी
और कलाई पर सजी
रक्षा का वचन उपहार सी
भारी भरकम लफ्जों की पढ़ाई भी नहीं , गीत गज़लों की गढ़ाई की तालीम भी नहीं , है उम्र की चाँदी और जज्बात के समन्दर की डुबकी, किस्मत लिखने वाले की मेहरबानी , जिन्दगी का सुरूर , चन्द लफ्जों की जुबानी...