अपने हाथों से सँभाला न गया
मिट गए दुनिया की खातिर
मगर तन्हाई का निवाला न गया
स्याह रातों में दिल जला कर ही सही
राह से उम्मीद का उजाला न गया
अपनी दुनिया भी अजब सलमे-सितारों है जड़ी
जीते जी सर से दुशाला न गया
दुहाई दे दे कर कहते रहे
खुद के होने का हवाला न गया