जाओगे कहाँ कोई सत्कर्म करने तुम
चेहरे पे खिला दो किसी के तुम कोई मुस्कान
लो हो गया भजन , लो हो गया भजन
घर में हों गर माँ-बाप दादा-दादी से बुजुर्ग
तन-मन से करो सेवा ,अपना जनम सफल
खिल जायेगा उनकी दुआओं का चमन
लो हो गया भजन , लो हो गया भजन
बन कर के किसी पेड़ से , तुम सह लो सारी घाम
पथिकों को दो छाया , सदियों को दो आराम
हर ठूँठ पर फूल उगाने का हो जतन
लो हो गया भजन , लो हो गया भजन
अपने लिये तो जीता है , हर कोई देख लो
रुकता है भला कोई काम ,क्या किसी के बिन
जीवन को भी उपयोगी बनाने की हो लगन
लो हो गया भजन , लो हो गया भजन
अन्दर है तेरे भी कोई नन्हा सा बच्चा देख
खिलखिलाना चाहता है खुल के ,जो तू देख
सहज सरल रह कर , कुछ भी नहीं कठिन
लो हो गया भजन , लो हो गया भजन