मेरा क्या है , वो तेरे जख्मों को छेड़ जायेगी
बाद मुद्दत के सही , पुरवाई तो चली
थाम लम्हों को , किस्मत तो सँवर जायेगी
मोड़ तो आते हैं , सफर में भी कई
रुक गए तो , तन्हाई भी ठहर जायेगी
भूलता कोई नहीं , रहे अन्जान बेशक
बातों-बातों में , थोड़ी तबियत तो बहल जायेगी