मेरे विष्वास को पानी देना
अरमान को चुनर धानी देना
ज़िन्दगी कुछ भी नहीं , मुहब्बत के बिना
मेरे अलफ़ाज़ को कहानी देना
जिधर भी देखूँ तुम ही तुम हो
अहसास को हकीकत ज़मीनी देना
कहीं न कहीं तो हो तुम
मेरी आस को ज़िन्दगानी देना
गुजर गये हैं मौसम कितने ही
देरी ही सही , बहारों को रवानी देना
शबे-इन्तिज़ार का कोई तो सिला
सुबह हर हाल निशानी देना
अरमान को चुनर धानी देना
ज़िन्दगी कुछ भी नहीं , मुहब्बत के बिना
मेरे अलफ़ाज़ को कहानी देना
जिधर भी देखूँ तुम ही तुम हो
अहसास को हकीकत ज़मीनी देना
कहीं न कहीं तो हो तुम
मेरी आस को ज़िन्दगानी देना
गुजर गये हैं मौसम कितने ही
देरी ही सही , बहारों को रवानी देना
शबे-इन्तिज़ार का कोई तो सिला
सुबह हर हाल निशानी देना