जल रे दिए तू , लम्बी ज्योति
पहुँच वहाँ , दूर जहाँ तक खड़ी है रात
मिट्टी की मैं , तेल है तेरा
सुख दुख सारा , खेल है तेरा
मेरे दिल की क्या है औकात
जल रे दिए तू , लम्बी ज्योति
पहुँच वहाँ , दूर जहाँ तक खड़ी है रात
जग चिड़िया का रैन बसेरा
जोगी वाला अपना फेरा
कैसे दूँ हालात को मात
जल रे दिए तू , लम्बी ज्योति
पहुँच वहाँ , दूर जहाँ तक खड़ी है रात
हाथ पकड़ कर चलूँ मैं तेरा
धो डाले जो पथ का अँधेरा
सुबह सी है तेरी बात
जल रे दिए तू , लम्बी ज्योति
पहुँच वहाँ , दूर जहाँ तक खड़ी है रात
मिट्टी की मैं , तेल है तेरा
जवाब देंहटाएंसुख दुख सारा , खेल है तेरा
मेरे दिल की क्या है औकात
Behad sundar!
जल रे दिए तू , लम्बी ज्योति
जवाब देंहटाएंपहुँच वहाँ , दूर जहाँ तक खड़ी है रात
बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन रचना..
:-)
वाह...
जवाब देंहटाएंहाथ पकड़ कर चलूँ मैं तेरा
धो डाले जो पथ का अँधेरा
सुबह सी है तेरी बात
बहुत खूबसूरत...
सादर
अनु
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
वाह क्या बात है बेहद उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअरुन शर्मा - www.arunsblog.in
हमेशा की तरह लाजवाब रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
प्रशंसनीय। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंbahut khoob kaha hein...
जवाब देंहटाएंसुबह सी है तेरी बात .....