बुधवार, 11 मार्च 2009

एक किरण आशा की


एक किरण आशा की , सपने हजार लाती है
डूबे हों कितने भी , पल में उबार लाती है

तिनका-तिनका बिखरे हों , जमीं से उखड़े हों
राहगुजर दिखलाती , एक किरण आशा की
मन्डराते बादलों से पँख उधार लाती है
डूबे हों कितने भी , पल में उबार लाती है

बादलों से गुजरे हों , रंग सब बिखरे हों
खुशबू की तूलिका सी , एक किरण आशा की
सुरमई सपनों के मन्जर उतार लाती है
डूबे हों कितने भी , पल में उबार लाती है

तिनकों सा जुड़ती है , हवाओं में घुलती है
सुबह सी सतरंगी ,एक किरण आशा की
दस्तक देते ही सूरज उतार लाती है
डूबे हों कितने भी , पल में उबार लाती है

एक किरण आशा की , सपने हजार लाती है
डूबे हों कितने भी , पल में उबार लाती है