मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

विष्वास को पानी देना

मेरे विष्वास को पानी देना 
अरमान को चुनर धानी देना 

ज़िन्दगी कुछ भी नहीं , मुहब्बत के बिना 
मेरे अलफ़ाज़ को कहानी देना 

जिधर भी देखूँ तुम ही तुम हो 
अहसास को हकीकत ज़मीनी देना 

कहीं न कहीं तो हो तुम 
मेरी आस को ज़िन्दगानी देना 

गुजर गये हैं मौसम कितने ही 
देरी ही सही , बहारों को रवानी देना 

शबे-इन्तिज़ार का कोई तो सिला 
सुबह हर हाल निशानी देना 

बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

सत्रह-अठरह का इश्क ,

वैलेन्टाइन-डे की नजर

 सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ 
 रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद 

चाँद खिलौने की ज़िद 
डगर से बेखबर , नाजुक कन्धों पे रखना न बोझ रे 


 सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ 
 रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद 

कस्तूरी सी महक 
और टीसती कसक , दिल का कोना है बहुत उदास रे 


 सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ 
 रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद 

उम्र भर का है रोग 
दुनिया है बेरहम , आतिशे-गुल का है क्या काम रे 


 सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ 
 रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद 

कर खुद पर करम 
घर फूँक या दिल फूँक , तमाशे का है क्या अन्जाम रे 


 सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ 
 रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद 

तू ऊँचा उठे 
नापे धरती-गगन , क़दमों में बेड़ियों का है क्या काम रे 


 सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ 
 रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद 






बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

कहने को ज़िन्दगी है

देखो तो मुहब्बत की हर राह , किस ओर निकलती है 
कहने को ज़िन्दगी है , हर बार ही छलती है 

सूरज के मुहाने से , दिन निकलता है 
चन्दा तेरी गलियों में अश्क की रात भी ढलती है 

मुहब्बत है इबादत, बेशक 
छुप के ज़माने से मगर पलती है 

फिसला है हर कोई यहाँ 
शीशे के घरों में तन्हाई ही पलती है 

हर किसी को तमन्ना है गुलाबों की 
खरोंच काँटों की साथ-साथ मिलती है

देखो तो मुहब्बत की हर राह , किस ओर निकलती है 
कहने को ज़िन्दगी है , हर बार ही छलती है