बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

कहने को ज़िन्दगी है

देखो तो मुहब्बत की हर राह , किस ओर निकलती है 
कहने को ज़िन्दगी है , हर बार ही छलती है 

सूरज के मुहाने से , दिन निकलता है 
चन्दा तेरी गलियों में अश्क की रात भी ढलती है 

मुहब्बत है इबादत, बेशक 
छुप के ज़माने से मगर पलती है 

फिसला है हर कोई यहाँ 
शीशे के घरों में तन्हाई ही पलती है 

हर किसी को तमन्ना है गुलाबों की 
खरोंच काँटों की साथ-साथ मिलती है

देखो तो मुहब्बत की हर राह , किस ओर निकलती है 
कहने को ज़िन्दगी है , हर बार ही छलती है  

9 टिप्‍पणियां:

अरुन अनन्त ने कहा…

वाह क्या बात है शानदार बहुत सुन्दर प्रस्तुति

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

कुछ कुछ लाइनों ज़्यादा ही लंबी हो गईं

Shalini kaushik ने कहा…

हर किसी को तमन्ना है गुलाबों की
खरोंच काँटों की साथ-साथ मिलती है.
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति आभार राजनीतिक सोच :भुनाती दामिनी की मौत आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मुहब्बत है इबादत, बेशक
छुप के ज़माने से मगर पलती है ..

सच कहा है .. ज़माना वर्ना इसे पलने नहीं देता ...

Alpana Verma ने कहा…

भावपूर्ण!
सूरज के मुहाने से दिन निकलता है
चन्दा तेरी गलियों में अश्क की रात भी ढलती है
खास पसंद आया.

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

अच्छे भाव हैं ग़ज़ल के
हर किसी को तमन्ना है गुलाबों की
खरोंच काँटों की साथ-साथ मिलती है
बढ़िया!!

सादर
अनु

रचना दीक्षित ने कहा…

मुहब्बत है इबादत, बेशक
छुप के ज़माने से मगर पलती है

क्या बात है!!!!

सुंदर गज़ल. उत्तम भाव.

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

फिसला है हर कोई यहाँ
शीशे के घरों में तन्हाई ही पलती है

बहुत सुन्दर लिखा है.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

हर किसी को तमन्ना है गुलाबों की
खरोंच काँटों की साथ-साथ मिलती है,,,

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,

मेरे ब्लॉग पर आने के लिए ,,,,शुक्रिया,,
आप भी मेरे ब्लॉग को फालो करे,,,,

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