शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

तीज पर एक गीत

चूड़ी-बिन्दी , बिछुए-पायल 
सोलह सिँगार हैं पिय के नाम 

रच गई मेहन्दी और महावर
जन्म जन्म को पिय के नाम 

१. जब से पिया तुम आये जीवन में, 
पहली तीज मुझे भूले न 
बाबुल से मिलने की ख़ुशी और 
बिरहन के मन की वो कसक 
हिरणी सा मन भटकता फिरता ,
ले कर तेरा तेरा नाम 

रच गई मेहन्दी और महावर
जन्म जन्म को पिय के नाम 

२. सावन की फुहारें ले आती हैं ,
हरियाली हर ओर कहीं 
सज-धज कर हम बाट जोहते,
साँसों में है मोगरे की महक 
एक पिया है लाखों में अपना ,
शान बान सब उसके नाम 

रच गई मेहन्दी और महावर
जन्म जन्म को पिय के नाम 

३. बिन्दिया चमके , चूड़ी खनके ,
कँगना बोले , अँगना डोले 
मेघों की घटाएँ ,  जुल्फों की अदाएँ ,
अल्हड़ सी लट है भौचक 
थाप हिया की बोले हर दम, 
ये मौसम है उसके नाम 

रच गई मेहन्दी और महावर
जन्म जन्म को पिय के नाम 

चूड़ी-बिन्दी , बिछुए-पायल 
सोलह सिँगार हैं पिय के नाम