सोमवार, 23 मार्च 2009

उपहार की बातें करें

कामना और प्यार के इजहार की बातें करें
लो चले आये हैं वो , उपहार की बातें करें

माँगते रहे जो हम , प्यार को दिलदार को
किस्मत के उसी दुलार की बातें करें
रात-दिन ख़्वाबों में उठते ज्वार की बातें करें

गुनगुनाता है जो मीत , मीत के उस गीत के
स्वरों की झन्कार की बातें करें
शहनाई के उस लाड़ के मधुर सँसार की बातें करें

बुधवार, 11 मार्च 2009

एक किरण आशा की


एक किरण आशा की , सपने हजार लाती है
डूबे हों कितने भी , पल में उबार लाती है

तिनका-तिनका बिखरे हों , जमीं से उखड़े हों
राहगुजर दिखलाती , एक किरण आशा की
मन्डराते बादलों से पँख उधार लाती है
डूबे हों कितने भी , पल में उबार लाती है

बादलों से गुजरे हों , रंग सब बिखरे हों
खुशबू की तूलिका सी , एक किरण आशा की
सुरमई सपनों के मन्जर उतार लाती है
डूबे हों कितने भी , पल में उबार लाती है

तिनकों सा जुड़ती है , हवाओं में घुलती है
सुबह सी सतरंगी ,एक किरण आशा की
दस्तक देते ही सूरज उतार लाती है
डूबे हों कितने भी , पल में उबार लाती है

एक किरण आशा की , सपने हजार लाती है
डूबे हों कितने भी , पल में उबार लाती है

रविवार, 8 मार्च 2009

इक बोल मेरी ओर

वो जो इक बोल मेरी ओर
तुमने उछाला मानों
लपक के पकड़ा मेरे दिल ने
कोई निवाला जानो

बरसा गया कोई बादल
ठण्डी फुहारें मानो
खिल गये फूल और कलियाँ
आईं बहारें जानो

बिना बोले ही तेरी नजरों ने
उछाले दिलासे मानो
झोली भर ली , छंट गये
सारे कुहासे जानो

शनिवार, 7 मार्च 2009

तूफाँ में नहीं हिलना

तूफाँ में नहीं हिलना
तूफाँ के साथ बहना
मुश्किल है मुश्किल में
लहरों को यूँ गिनना

डूबेगा ख़ुद ही तो
अर्जी है भँवर की ये
समँदर की मौजे हैं
किनारे छू के मुस्करायें

मचलें हैं लहरें तो
चंदा से मिलने को
बेशक उनकी भी तो
हर आस अधूरी है

कुछ भी छूटे या रूठे
मौजों के साथ बहना
तरंगें ही जीवन है
हर पल है यही कहना



गुरुवार, 5 मार्च 2009

दुःख गीत ग़ज़ल हो जाता है

दुःख गीत ग़ज़ल हो जाता है
गर दुःख के तराने पर थिरक सकें

.कड़वे शब्दों को देना दावत
इतने मर्जों से बढ़ कर और सजा क्या है
मर्जों की दवा हो जाती है
गर पग-पग घुँघरू झनक सकें

.दुःख इम्तिहान लेता है
मीठे बोलों से बढ़ कर और दुआ क्या है
दिल साजे ग़ज़ल हो जाता है
गर दुःख की तर्ज़ पर खनक सकें

सोमवार, 2 मार्च 2009

कब दूर किनारा है

उफनी हुई नदिया है
और पार उतरना है
बिगड़ी हुई किश्ती है
धारों पे चलानी है

किश्ती की मरम्मत कर
तूफानों से बचानी है
नदिया का रुख देखो
किनारे सँग ले चलती है

विपरीत बहावों में
सँग -सँग भी तो बहना है
रस्सी को ढीला कर
मौका गंवाना है

किश्ती का दम देखो
सागर से बहाना है
चंचल सी लहरों सँग
अठखेलियाँ करना है

उफनी हुई नदिया है
कब दूर किनारा है