रविवार, 30 अगस्त 2009

सुरुरों ने आ लिखा है

मैंने लिखा नहीं है
सुरुरों ने आ लिखा है

ये बात कह रही है
बरसों से दुनिया सारी
जुनूनों ने आ लिखा है

धड़कन ये कह रही है
उसकी जुबाँ नहीं है
बेजुबानों ने आ लिखा है

जन्मों से चल रहा है
जिसे देख के हैं चलते
उन्हीं रँगों ने आ लिखा है

अपनी खता नहीं है
तुम्हें पा के हम जो खिलते
कुसूरों ने आ लिखा है

मैंने लिखा नहीं है
सुरुरों ने आ लिखा है


शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

ठण्डी हवा के झोंके

ठण्डी हवा के झोंके , छूकर हैं जब गुजरते
छूकर हैं उनको आये , वादों से जो मुकरते

खुशियों के ये इरादे , कैसे सनम पकड़ते
बहती हवा के मानिंद , दामन में न ठहरते

सिर चढ़ के जो बोले , देखो सुरूर चढ़ते
मीठी सी नीँद बन कर , दिल में हैं यूँ उतरते

ठहरा है काफिला भी , देखो इसे गुजरते
खुशबू है पीछा करती , दामन से जो उलझते

ठण्डी हवा के झोंके , छूकर हैं जब गुजरते
गहरी सी टीस बन कर , मौसम को यूँ निगलते


रविवार, 16 अगस्त 2009

जिसकी जितनी झोली

टुकड़े-टुकड़े दिन बीता और धज्जी-धज्जी रात मिली
जिसकी जितनी झोली थी उतनी ही सौगात मिली

लाख लगे हों दिल पर पहरे , अपनी ही औकात मिली
भर तो लेते दामन अपना , बात नहीं बेबात मिली

चाँद भी उतरा तारे भी उतरे , फ़िर भी न उजली रात मिली
जहन सजाये बैठे हैं हम , यादों की बारात मिली

टुकड़े-टुकड़े दिन बीता और धज्जी-धज्जी रात मिली
जिसकी जितनी झोली थी उतनी ही सौगात मिली


बुधवार, 5 अगस्त 2009

रँगीन रेशमी राखी

यूँ तो डोर है रेशम सी
कच्ची नहीं , बन्धन सी
मजबूती इतनी है दुलार की
भाई बहन के प्यार की

कुदरत का नूर बरसाती
इस रास्ते भी , भाई का प्यार सी
एक आँगन में पले
जोड़ती अनूठे सँसार सी

रँगीन रेशमी डोरी
दुआओं का बोलता भण्डार सी
और कलाई पर सजी
रक्षा का वचन उपहार सी