बुधवार, 26 नवंबर 2025

ऐसी आबो-हवा

कोई हमें चाहता है ये ख़्याल कितना ख़ूबसूरत है 

इससे अपनी दुनिया आबाद कर लेना 


ये छाँव चलेगी तुम्हारे सँग-साथ 

इसे मुट्ठी में क़ैद कर लेना 


ये दुनिया किसी जन्नत से कम नहीं 

इसके सजदे में दिन-रात शादाब कर लेना 


जब भी मिलें नजरें लब पे मुस्कराहट हो 

रिश्तों में ऐसी आबो-हवा रख लेना 


धूप तो आनी-जानी शय है 

किसी काँधे पे रख के सर, थोड़ा आराम कर लेना