गुरुवार, 1 मई 2014

तो अपना क्या होगा

हम तो तुम्हारी पलकों के ख़्वाबों में भी रह लेते 
तुम जो आँखों को तरेरोगे तो अपना क्या होगा 

ख़्वाब तो आसमाँ में उड़ाते हैं 
तुम जो ज़मीं पर ही उतारोगे तो अपना क्या होगा 

इरादों में हौसलों की चमक होती है 
तुम जो हकीकत को नकारोगे तो अपना क्या होगा 

बन्जारों की तरह तम्बू नहीं ताना हमने 
दिल की बस्ती को उजाड़ोगे तो अपना क्या होगा 

हम तो तुम्हारी पलकों के ख़्वाबों में भी रह लेते 
तुम जो आँखों को तरेरोगे तो अपना क्या होगा