रविवार, 5 जनवरी 2014

मन मैला तो कौन खुदा

मन मैला तो कौन खुदा 
रहता है तू ,खुद से भी ज़ुदा 

आना है मेरे पास तो , किसी रूह की तरह आ 
इस तन को चोगे की तरह , किसी खूँटी पर टाँग के आ 

मन मैला तो कौन खुदा 
रहता है तू ,खुद से भी ज़ुदा

प्यास जन्मों से लगी है ,बुझेगी ये भरम है तुझको 
अपने ही सामने तू , किसी गैर की तरह आ 

मन मैला तो कौन खुदा 
रहता है तू ,खुद से भी ज़ुदा

दिल लताड़ने के लिये नहीं होते ,किसी खुशबू सा 
चमन में ठण्डी हवा के झोंके की तरह आ 

मन मैला तो कौन खुदा 
रहता है तू ,खुद से भी ज़ुदा