मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

इक ख़्वाब जरुरी है

खूबसूरती देखने के लिये , वो आँख जरूरी है 
दिल तक उतरने के लिये ,इक आब जरुरी है 

दम भरता है क़दमों में जो 
रँग भरने के लिये , इक ख़्वाब जरुरी है 

जाने कहाँ ले जाये हमें 
मंजिले-मक्सद के लिये ,  दिले-बेताब जरुरी है 

कितने ही मन्जर रोकें क़दमों को 
राहे-वफ़ा के लिये , असबाब जरूरी है 

सवाल-दर-सवाल है ज़िन्दगी गर 
ज़िन्दगी के लिये , ज़िन्दगी सा जवाब जरुरी है 

कहने को चल रहे हैं जुगनुओं के शहर में 
सहर के लिये मगर , आफ़ताब जरुरी है