सोमवार, 19 नवंबर 2012

दूर जहाँ तक खड़ी है रात


जल रे दिए तू , लम्बी ज्योति 
पहुँच वहाँ , दूर जहाँ तक खड़ी है रात 

मिट्टी की मैं , तेल है तेरा 
सुख दुख सारा , खेल है तेरा 
मेरे दिल की क्या है औकात 


जल रे दिए तू , लम्बी ज्योति 
पहुँच वहाँ , दूर जहाँ तक खड़ी है रात 

जग चिड़िया का रैन बसेरा 
जोगी वाला अपना फेरा 
कैसे दूँ हालात को मात 


जल रे दिए तू , लम्बी ज्योति 
पहुँच वहाँ , दूर जहाँ तक खड़ी है रात 

हाथ पकड़ कर चलूँ मैं तेरा 
धो डाले जो पथ का अँधेरा 
सुबह सी है तेरी बात 


जल रे दिए तू , लम्बी ज्योति 
पहुँच वहाँ , दूर जहाँ तक खड़ी है रात 


रविवार, 4 नवंबर 2012

कहाँ नहीं है खुदा

तुझ में खुदा है , मुझ में खुदा है 
कहाँ नहीं है खुदा , ये बता 
पर मेरा मन क्यूँ ख़फा है 
ख़फा है , ख़फा है , ये बता 

बरसता सावन , उगता सूरज , ढलती शामें 
वो सारी दुनिया का मालिक 
मेरी हस्ती उस से जुदा है 
जुदा है , जुदा है , ये बता 

गहरी खाई , टूटा दिल है , निपट अकेला 
उजला देखूं , रब है , रब है 
झूम के गाऊँ , ये भी बदा है 
बदा है , बदा है , ये बता 


तुझ में खुदा है , मुझ में खुदा है 
कहाँ नहीं है खुदा , ये बता 
पर मेरा मन क्यूँ ख़फा है 
ख़फा है , ख़फा है , ये बता