गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

मरुस्थल में बारिश का बहाना

बुलाना और बात है , निभाना और बात है 
लुभाना और बात है , दिल में बसाना और बात है 

दौड़ती रहती है सारी दुनिया जिस के पीछे 
मरुस्थल में बारिश का बहाना और बात है 

बुझ गया दिल तेरी नजर-अन्दाज़ी से 
तेरी फ़राख़-दिली का फ़साना और बात है 

मजबूर ही होता है आशिक दिल-लगाई में 
पड़ी सिर पर बजाना और बात है 

बुलाना और बात है , निभाना और बात है 
लुभाना और बात है , दिल में बसाना और बात है