शुक्रवार, 26 मार्च 2010

थपक कौन सी

चुनरी सितारों से जड़ा रक्खी है
बिरहन ने कोई अलख जगा रक्खी है

रात कटती नहीं सब्र भी टूटा नहीं
दिल के साज पे बाशिन्दों को
थपक कौन सी सुना रक्खी है
बिरहन ने कोई अलख जगा रक्खी है

हर लम्हा है रात का आख़िरी लम्हा
रात के कानों में यही कह कर
आहट सुबह की सजा रक्खी है
बिरहन ने कोई अलख जगा रक्खी है