सुरुरों ने आ लिखा है
ये बात कह रही है
बरसों से दुनिया सारी
जुनूनों ने आ लिखा है
धड़कन ये कह रही है
उसकी जुबाँ नहीं है
बेजुबानों ने आ लिखा है
जन्मों से चल रहा है
जिसे देख के हैं चलते
उन्हीं रँगों ने आ लिखा है
अपनी खता नहीं है
तुम्हें पा के हम जो खिलते
कुसूरों ने आ लिखा है
मैंने लिखा नहीं है
सुरुरों ने आ लिखा है
अपनी खता नहीं है
जवाब देंहटाएंतुम्हें पा के हम जो खिलते
कुसूरों ने आ लिखा है
bahut khoob........
सुन्दर सृजन
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गुलाबी कोंपलें · चाँद, बादल और शाम
कमाल है शारदाजी.........
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब
अत्यन्त सौम्य अभिव्यक्ति...
धड़कन ये कह रही है
उसकी जुबाँ नहीं है
बेजुबानों ने आ लिखा है
बधाई हो आपको.........
ये बात कह रही है
जवाब देंहटाएंबरसों से दुनिया सारी
जुनूनों ने आ लिखा है
बहुत बहुत ही भाव पुर्ण लेखन ........और क्या कहे.....अतिसुन्दर
अपनी खता नहीं है
जवाब देंहटाएंतुम्हें पा के हम जो खिलते
कुसूरों ने आ लिखा है
मैंने लिखा नहीं है
सुरूरों ने आ लिखा है
बहुत सुन्दर।
बधाई!
आपने अच्छा लिखा है. चूंकि आपने खुशफहमियों को प्राथमिकता दी है, इस लिए और कुछ नहीं कहूँगा. मेरे ब्लॉग पर आने कमेन्ट देने के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंमैंने लिखा नहीं है
जवाब देंहटाएंसुरुरों ने आ लिखा है
-बहुत बेहतरीन लिख सुरुर आकर. वाह!
BAHUT KHOOB
जवाब देंहटाएंबहुत खुब लाजवाब रचना।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन..बेजुबानों के लिये लिखने का ही सहारा होता है बस...और कितनी बाते कह कर भी नही कही जा पाती हैं.
जवाब देंहटाएंशारदा जी
जवाब देंहटाएंआपकी यह कविता ही आपकी पतिनिधी shailee है
बहुत डूब कर लिखा और जिया है आपने
बधाई
thanx. accha likha hai.
जवाब देंहटाएंधड़कन ये कह रही है
जवाब देंहटाएंउसकी जुबाँ नहीं है
बेजुबानों ने आ लिखा है
LAJAWAAB .......... KHOOBSOORAT GAZAL HAI .....
धड़कन ये कह रही है
जवाब देंहटाएंउसकी जुबाँ नहीं है
बेजुबानों ने आ लिखा है..khoobsurat kavita...
bahut behtreen likha hai aapne...mujhe achchha laga
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