हमें तो आहटें भी खिजाँ की सुनाई देतीं हैं
रँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले , दिखाई देते हैं
बहार आई गई , पत्ता पत्ता बिछड़ा
बदल के बात जमीं से उखड़े दिखाई देते हैं
पकड़ के हाथ मीलों जो चले
बदले-बदले मिजाज ढीले-ढीले दिखाई देते हैं
बनी रहे तेरे चेहरे की चमक
तेरे मौसम दिल में उतरे दिखाई देते हैं
हमें तो आहटें भी खिजाँ की सुनाई देतीं हैं
रँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले , दिखाई देते हैं
रँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले , दिखाई देते हैं
बहार आई गई , पत्ता पत्ता बिछड़ा
बदल के बात जमीं से उखड़े दिखाई देते हैं
पकड़ के हाथ मीलों जो चले
बदले-बदले मिजाज ढीले-ढीले दिखाई देते हैं
बनी रहे तेरे चेहरे की चमक
तेरे मौसम दिल में उतरे दिखाई देते हैं
हमें तो आहटें भी खिजाँ की सुनाई देतीं हैं
रँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले , दिखाई देते हैं
हमें तो आहटें भी खिजाँ की सुनाई देतीं हैं
जवाब देंहटाएंरँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले , दिखाई देते हैं
Kya gazab kee baat kahee hai!
हमें तो आहटें भी खिजाँ की सुनाई देतीं हैं
जवाब देंहटाएंरँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले , दिखाई देते हैं
वाह क्या बात कही है…………सुन्दर गज़ल्।
सुन्दर गज़ल
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
जवाब देंहटाएंयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
हमें तो आहटें भी खिजाँ की सुनाई देतीं हैं
जवाब देंहटाएंरँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले, दिखाई देते हैं.
खिजां की आहटों को पहचानने की कोशिश. बहुत सुंदर रचना. बधाई शारदा जी.
बहुत सुंदर रचना, वाह
जवाब देंहटाएंMy Blog: Life is Just a Life
My Blog: My Clicks
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सुंदर रचना , अच्छे भाव ,बधाई
जवाब देंहटाएंbadhia rachnaa...
जवाब देंहटाएंsadar..
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएं♥
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
हमें तो आहटें भी खिजाँ की सुनाई देतीं हैं
जवाब देंहटाएंरँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले, दिखाई देते हैं.
sundar rachna