मंगलवार, 13 मई 2025

ज़िन्दगी बजानी है

बिगड़ा हुआ साज है और ज़िन्दगी बजानी है सँवरे या न सँवरे ये , कोई धुन तो बनानी है 


ज़िन्दगी तो यूँ अक्सर बहुत बोलती है 

रातों को जगाती है ,

बतियाती है के कोई बात तो बनानी है 


दिखता नहीं भले कुछ भी 

इक समन्दर है उम्र के काँधे पर ,

पार उतरने को कश्ती तो बनानी है 


जो तुमने मानी होती कोई बात , 

तो हम भी सयाने होते 

हालात के मारे हुए और ज़िन्दगी तो सजानी है 

1 टिप्पणी:

  1. Blog ke stats batate hain ki Singapore aur U.S ke kafi sare visitors is blog par aa rahe hain , kripya e mail se ya kisi bhi ID se comment karke upasthiti darj karayen , ye mujh me bhi hausla bhar dengi

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मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं