सुन्दर सा ला तू पाहुना
ये है मेरा उलाहना
क्यूँ भूल बैठा है हमें
कुछ भी तुझ से छुपा ना
खुश रहतें हैं भुलावों में
कैसे जियें बता ना
आहट भी जिसकी लाती है
झन्कार की इक कल्पना
कैसे बता साकार हो
यथार्थ की वो अल्पना
पलकें बिछाए बैठे हैं
दस्तक तो दे खुशबू का वो फ़साना
दिल में सजा के रख लेंगे
कुदरत का वो नजराना , आशिआना
बहुत सुन्दर मनोभावना का उदगार
जवाब देंहटाएं---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
पलकें बिछाए बैठे हैं
जवाब देंहटाएंदस्तक तो दे खुशबू का वो फ़साना
दिल में सजा के रख लेंगे
कुदरत का वो नजराना , आशिआना bahut achcha likha hai
बढ़िया है.
जवाब देंहटाएंअति सुंदर.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद