दिल तपता है , किसने देखा अँगारों को
वो जो धुआँ धुआँ हो करके उठा , उसे उम्र लगी परवानों की
ढलती है शमा , पिघली जो है ये अश्कों में
छा जाती है अफसानों सी , इसे उम्र लगी बलिदानों की
रँग कोई हुआ , गुलाल हुआ या मलाल हुआ
मिल जाता है इन्सां के खूँ में , इसे उम्र लगी अरमानों की
लपटें जो उठीं , कुछ धुआँ हुआ कुछ रोशनी सा
इसे पँख लगे परवाजों के और उम्र लगी दिल-वालों की
वो जो धुआँ धुआँ हो करके उठा , उसे उम्र लगी परवानों की
ढलती है शमा , पिघली जो है ये अश्कों में
छा जाती है अफसानों सी , इसे उम्र लगी बलिदानों की
रँग कोई हुआ , गुलाल हुआ या मलाल हुआ
मिल जाता है इन्सां के खूँ में , इसे उम्र लगी अरमानों की
लपटें जो उठीं , कुछ धुआँ हुआ कुछ रोशनी सा
इसे पँख लगे परवाजों के और उम्र लगी दिल-वालों की
लपटें जो उठीं , कुछ धुआँ हुआ कुछ रोशनी सा
जवाब देंहटाएंइसे पँख लगे परवाजों के और उम्र लगी दिल-वालों की
khoobsorat likha hai ..... Roshni kuch der tk jalne ke liye pawaaz oonchi honi chaahiye ...
aapki rachana mujhe achchhi lagti hain.
जवाब देंहटाएंलपटें जो उठीं , कुछ धुआँ हुआ कुछ रोशनी सा
जवाब देंहटाएंइसे पँख लगे परवाजों के और उम्र लगी दिल-वालों की nice
बहुत ही अच्छी रचना...!आभार...
जवाब देंहटाएंरँग कोई हुआ , गुलाल हुआ या मलाल हुआ
जवाब देंहटाएंमिल जाता है इन्सां के खूँ में , इसे उम्र लगी अरमानों की
बहुत सही कहा है सुन्दर रचना के लिये बधाई
bahut achchalikha hai.
जवाब देंहटाएंशारदा जी, आदाब
जवाब देंहटाएंदिल तपता है , किसने देखा अँगारों को....
लपटें जो उठीं , कुछ धुआँ हुआ कुछ रोशनी सा.....
चंद लफ़्ज़ों में कितना कुछ कह दिया आपने.
सुंदर रचना, बधाई
बेहतरीन रचना, वाह!
जवाब देंहटाएंढलती है शमा , पिघली जो है ये अश्कों में
जवाब देंहटाएंछा जाती है अफसानों सी , इसे उम्र लगी बलिदानों की
Bahut khoob!
लपटें जो उठीं , कुछ धुआँ हुआ कुछ रोशनी सा
जवाब देंहटाएंइसे पँख लगे परवाजों के और उम्र लगी दिल-वालों की
bahuta hee sundar aura khoobasuurat panktiyan. vaise to aapkee pooree gajal hee behatareen hai.
Poonam
लपटें जो उठीं , कुछ धुआँ हुआ कुछ रोशनी सा
जवाब देंहटाएंइसे पँख लगे परवाजों के और उम्र लगी दिल-वालों की
बहुत अच्छी रचना..वाह..शारदा जी बहुत ही अच्छा लिखा है आपने...
नीरज