चरागों से सीखें जलने का सबक़
दिलों के बुझने का भी तो सबब जानें
ये जल तो लेते हैं एक दूसरे से
अन्धेरा अपनी तली का न पहचानें
परवाह करते हैं सिर्फ अपनी ही नमी की
दूसरा चुक रहा है ये हैं अन्जाने
चरागे-दिल से रौशन होती दुनिया
स्याह रातों का खुदा ही जाने
कितनी आँखों में बुझ बुझ जला है जो
वो आरती का दिया दुनिया माने
मनों अँधेरा खदेड़ते नन्हें से चिराग
दिवाली की रात पूनम सी इतराती जानें
दिलों के बुझने का भी तो सबब जानें
ये जल तो लेते हैं एक दूसरे से
अन्धेरा अपनी तली का न पहचानें
परवाह करते हैं सिर्फ अपनी ही नमी की
दूसरा चुक रहा है ये हैं अन्जाने
चरागे-दिल से रौशन होती दुनिया
स्याह रातों का खुदा ही जाने
कितनी आँखों में बुझ बुझ जला है जो
वो आरती का दिया दुनिया माने
मनों अँधेरा खदेड़ते नन्हें से चिराग
दिवाली की रात पूनम सी इतराती जानें
मनों अँधेरा खदेड़ते नन्हें से चिराग
जवाब देंहटाएंदिवाली की रात पूनम सी इतराती जानें " सुन्दर ग़ज़ल.. आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं।
अच्छी कविता
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार दिपोत्सव की ढेरों शुभकामनाएँ
मेरी पहली लघु कहानी पढ़ने के लिये आप सरोवर पर सादर आमंत्रित हैं
बेहद खूबसूरत रचना।
जवाब देंहटाएंदीप पर्व की हार्दिक बधाई।
अच्छी पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को दिवाली की शुभकामनाएं..
मेरे ब्लॉग पर इस बार संगीता जी की रचना..
सुनहरी यादें :-३ ...
शारदा जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना इस पावन पर्व पर....बहुत खूब....... एक बात ये पंक्ति शायद गलती से दो बार आ गयी हैं -
"परवाह करते हैं अपनी ही नमी की
दूसरा चुक रहा है ये हैं अन्जाने"
आपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.....
चरागे-दिल से रौशन होती दुनिया
जवाब देंहटाएंस्याह रातों का खुदा ही जाने
कितनी आँखों में बुझ बुझ जला है जो
वो आरती का दिया दुनिया माने
मनों अँधेरा खदेड़ते नन्हें से चिराग
दिवाली की रात पूनम सी इतराती जानें
बहुत अच्छा लिखा है...बधाई
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
bhn shardaa ji dipk ki vythaa or chiraagon ki roshni ki taaqt bhut khub andaaz men pesh ki he dipaavli mubark ho. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंदीपावली के इस पावन पर्व पर आप सभी को सहृदय ढेर सारी शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना हैं!
जवाब देंहटाएं--
प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।
अपने मन में इक दिया नन्हा जलाना ज्ञान का।
उर से सारा तम हटाना, आज सब अज्ञान का।।
आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
इस पावन पर्व पर बेहद सुंदर रचना साझा की आपने....
जवाब देंहटाएंदिवाली की शुभकामनायें आपको भी
सुन्दर सन्देश। बधाई। आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंsundar rachna!
जवाब देंहटाएंdeepotsav ki haardik shubhkamnayen!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनाएं
आज आपसे सहमत होने के सिवा कोई विकल्प नहीं है मेरे पास ,सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएं[ आपकी एक पिछली कविता पर मेल देखने में विलम्ब हुआ इसलिए प्रतिक्रिया नहीं दे पाया खेद सहित ! आपको दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ]
प्रदूषण मुक्त दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंचिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
जवाब देंहटाएंहरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो॥
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
सादर,
मनोज कुमार
इस ज्योति पर्व का उजास
जवाब देंहटाएंजगमगाता रहे आप में जीवन भर
दीपमालिका की अनगिन पांती
आलोकित करे पथ आपका पल पल
मंगलमय कल्याणकारी हो आगामी वर्ष
सुख समृद्धि शांति उल्लास की
आशीष वृष्टि करे आप पर, आपके प्रियजनों पर
आपको सपरिवार दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.
मनों अँधेरा खदेड़ते नन्हें से चिराग
जवाब देंहटाएंsundar!!!
deep ki mahima apaar hai!
deep parv ki shubhkamnayen!
आपको और आपके परिवार को दीपोत्सव की हार्दिक, सादर बधाइयां.
जवाब देंहटाएंशब्द और भाव दोनों अप्रतिम...वाह...
जवाब देंहटाएंनीरज
खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर
डोरोथी.
परवाह करते हैं सिर्फ अपनी ही नमी की
जवाब देंहटाएंदूसरा चुक रहा है ये हैं अन्जाने ...
इन बेचारों का काम तो जलना है .. इनकी किस्मत में भी जलना है ... इनके बस में कुछ नहीं है बस जलने के सिवा ...