जिन्दगी भर आशिक का ही मुहँ देखा किये
शेरों और गजलों में हम जिन्दा रहे
हर कदम पर खाई थी रुसवाई थी
गिर गिर कर उठे हम डूबते उतराते रहे
जवाकुसुमों का अपना क्या रँग और क्या है महक
अपनी खुशबू से बेखबर उड़ते रहे खोते रहे
बेलों का अपना है क्या वजूद
तनों से लिपटे रहे सहारे को लड़खड़ाते रहे
उसके चेहरे का रँग ही सजता रहा
अपनी तन्हाईयों से हम घबराते रहे
जिन्दगी भर आशिक का ही मुहँ देखा किये
शेरों और गजलों में हम जिन्दा रहे
यहाँ क्लिक कर के मेरी आवाज में सुन सकते हैं .....
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शेरों और गजलों में हम जिन्दा रहे
हर कदम पर खाई थी रुसवाई थी
गिर गिर कर उठे हम डूबते उतराते रहे
जवाकुसुमों का अपना क्या रँग और क्या है महक
अपनी खुशबू से बेखबर उड़ते रहे खोते रहे
बेलों का अपना है क्या वजूद
तनों से लिपटे रहे सहारे को लड़खड़ाते रहे
उसके चेहरे का रँग ही सजता रहा
अपनी तन्हाईयों से हम घबराते रहे
जिन्दगी भर आशिक का ही मुहँ देखा किये
शेरों और गजलों में हम जिन्दा रहे
यहाँ क्लिक कर के मेरी आवाज में सुन सकते हैं .....
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जवाकुसुमों का अपना क्या रँग और क्या है महक
जवाब देंहटाएंअपनी खुशबू से बेखबर उड़ते रहे खोते रहे
बेलों का अपना है क्या वजूद
तनों से लिपटे रहे सहारे को लड़खड़ाते रहे
वाह बेहद उम्दा ख्याल सजाये हैं।
वाह शारदा जी.....शानदार ग़ज़ल है ......
जवाब देंहटाएंबेलों का अपना है क्या वजूद
जवाब देंहटाएंतनों से लिपटे रहे सहारे को लड़खड़ाते रहे
उसके चेहरे का रँग ही सजता रहा
अपनी तन्हाईयों से हम घबराते रहे
....
khoobsoorat gajal
हर शेर गहरे भाव लिए हुए.....बधाई!
जवाब देंहटाएंबेलों का अपना है क्या वजूद
जवाब देंहटाएंतनों से लिपटे रहे सहारे को लड़खड़ाते रहे
उसके चेहरे का रँग ही सजता रहा
अपनी तन्हाईयों से हम घबराते रहे
बहुत खूबसूरत रचना... हर पंक्ति लाजवाब.... आभार
Behad khubsurat...gahre arthon ko samete huye ....achchhi rachana
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया .......हर शेर में कमाल के भाव हैं.... बेहतरीन ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंजिन्दगी भर आशिक का ही मुहँ देखा किये
जवाब देंहटाएंशेरों और गजलों में हम जिन्दा रहे|
बहुत ही खुबसूरत शेर, दाद का मोहताज नहीं पर दिल ने कहा बहुत खूब....
बहुत खूबसूरत शेरों से सजी गज़ल. उम्दा ख्याल. बधाई.
जवाब देंहटाएंहर कदम पर खाई थी रुसवाई थी
जवाब देंहटाएंगिर गिर कर उठे हम डूबते उतराते रहे
बहुत अच्छे भाव प्रस्तुत किए हैं.
हर कदम पर खाई थी रुसवाई थी
जवाब देंहटाएंगिर गिर कर उठे हम डूबते उतराते रहे ...
वाह क्या बात लिखी है ...इस डूबने और उभरने में ही तो मज़ा है ...
बहुत सुन्दर ग़ज़ल| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंजिन्दगी भर आशिक का ही मुहँ देखा किये
जवाब देंहटाएंशेरों और गजलों में हम जिन्दा रहे
bahut badhiya....
Aakarshan
हर कदम पर खाई थी रुसवाई थी
जवाब देंहटाएंगिर गिर कर उठे हम डूबते उतराते रहे ...
सुंदर नज़्म......!!
जवाकुसुमों का अपना क्या रँग और क्या है महक
जवाब देंहटाएंअपनी खुशबू से बेखबर उड़ते रहे खोते रहे
वाह, मनमोहक रचना है।
उसके चेहरे का रँग ही सजता रहा
जवाब देंहटाएंअपनी तन्हाईयों से हम घबराते रहे
bahut hi sundar .