रँग होता तो बिखरता भी
जुनूँ होता तो झलकता भी
आओ कोई तो बात करें
गुफ्तगू में वक्त गुजरता भी
नजदीकियों की कहें
करीब हो जो , झगड़ता भी
मजबूर है आदत से परिन्दा
आसमाँ का हाथ पकड़ता भी
आफ़ताब दूर सही
धरती पर कोई चमकता भी
बहाने लाख करे
पहलू में दिल धड़कता भी
रूप दुगना होता
इश्क मय सा छलकता भी
रँग होता तो बिखरता भी
जुनूँ होता तो झलकता भी
यहाँ सुन सकते हैं ....
rang hota to.wav9184K Scan and download
नजदीकियों की कहें
जवाब देंहटाएंकरीब हो जो , झगड़ता भी
मजबूर है आदत से परिन्दा
आसमाँ का हाथ पकड़ता भी
आफ़ताब दूर सही
धरती पर कोई चमकता भी
बहाने लाख करे
पहलू में दिल धड़कता भी
बहुत ही सुंदर एवं बेहतरीन अभिव्यक्ति.....
रँग होता तो बिखरता भी
जवाब देंहटाएंजुनूँ होता तो झलकता भी
वाह क्या बात कही है शारदा जी…………शानदार गज़ल
wah!! shardajee!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गज़ल
जवाब देंहटाएंवाह क्या शानदार गज़ल कही है आपने. एक एक शब्द जैसे कुछ कहने को बेताब हो रहे हो.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गज़ल ..
जवाब देंहटाएंये होता तो वो होता भी !
जवाब देंहटाएंसच ही !
रँग होता तो बिखरता भी
जवाब देंहटाएंजुनूँ होता तो झलकता भी
Behatareen...
बहुत सुन्दर गज़ल.
जवाब देंहटाएंदीवाली की शुभकामनायें!!
कभी मेरे ब्लॉग पर आयें, आपका स्वागत है.
www.belovedlife-santosh.blogspot.com
बेहतरीन प्रस्तुति की बधाई ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गज़ल.
जवाब देंहटाएंबेटी बचाओ - दीवाली मनाओ.
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत सुंदर रचना शारदा जी .....
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनाएं ......