सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

तुम्हारे आने से



वैलेंटाइन डे में पवित्रता का रँग भरिये ...



मैंने पूजा की थाली से , प्रसाद सा पाया है तुम्हें
सर माथे से लगा कर , किसी दुआ सा अपनाया है तुम्हें

गुजर रही थी जिन्दगी यूँ ही
तुम्हारे आने से , सुरूर सा आया है हमें

चेहरा तुम्हारा यूँ भी अक्सर
हथेलियों में चाँद सा नजर आया है हमें

तन्हाइयों में भी साथी तुम हो
ज़ुदा चलना तुम से , कब रास आया है हमें

फूलों की बगिया से उठ कर
कौन आया है फिजाँ में , गुरूर आया है हमें

हाथों में उम्मीदों के दिए रक्खे
इश्क लौ सा जगमगाता हुआ , नजर आया है हमें

मैंने पूजा की थाली से , प्रसाद सा पाया है तुम्हें
सर माथे से लगा कर , किसी दुआ सा अपनाया है तुम्हें

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत सुन्दर...
    निर्मल कोमल सी रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह क्या बात है बहुत ही सुंदर भाव संयोजन...आज बहुत समय बाद आपकी पोस्ट देखी समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है :)

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर ग़ज़ल| धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं

मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं