वक़्त की शाख से टूटे लम्हे
टाँक के देखो तो ज़रा
टूटी है कोई डोर
झाँक के देखो तो ज़रा
पीले पत्तों की खनक
टोह के देखो तो ज़रा
ठहर जाती है खिजाँ
रोक के देखो तो ज़रा
किस्मत को नकारा
ढाँक के देखो तो ज़रा
ज़िन्दगी इतनी भी नहीं मेहरबाँ
भाँप के देखो तो ज़रा
नस-नस में बसा रावण
काँख में देखो तो ज़रा
खुदगर्जियाँ बनीं देहरी
लाँघ के देखो तो ज़रा
हिलते पानी की कहानी कहते
झाँक के देखो तो ज़रा
सारे पत्थर हैं या मरहम
आँक के देखो तो ज़रा
टाँक के देखो तो ज़रा
टूटी है कोई डोर
झाँक के देखो तो ज़रा
पीले पत्तों की खनक
टोह के देखो तो ज़रा
ठहर जाती है खिजाँ
रोक के देखो तो ज़रा
किस्मत को नकारा
ढाँक के देखो तो ज़रा
ज़िन्दगी इतनी भी नहीं मेहरबाँ
भाँप के देखो तो ज़रा
नस-नस में बसा रावण
काँख में देखो तो ज़रा
खुदगर्जियाँ बनीं देहरी
लाँघ के देखो तो ज़रा
हिलते पानी की कहानी कहते
झाँक के देखो तो ज़रा
सारे पत्थर हैं या मरहम
आँक के देखो तो ज़रा
बहुत ही सुन्दर भावमय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति के लिए आभार,शारदा जी.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आइयेगा.
नस-नस में बसा रावण
जवाब देंहटाएंकाँख में देखो तो ज़रा
खुदगर्जियाँ बनीं देहरी
लाँघ के देखो तो ज़रा
ओह बहुत गंभीर भाव. सुंदर प्रस्तुति.
duniyaa mein raavan dhoondhte ho
जवाब देंहटाएंapne andar bhee jhaank lo
sharm se doob jaaoge
jo sach bataaoge
ज़िन्दगी इतनी भी नहीं मेहरबाँ
जवाब देंहटाएंभाँप के देखो तो ज़रा
बहुत सुंदर प्रस्तुति.........
नस-नस में बसा रावण
जवाब देंहटाएंकाँख में देखो तो ज़रा
खुदगर्जियाँ बनीं देहरी
लाँघ के देखो तो ज़रा
हिलते पानी की कहानी कहते
झाँक के देखो तो ज़रा
सारे पत्थर हैं या मरहम
आँक के देखो तो ज़रा
Wah! Kya gazab likha hai!
हिलते पानी की कहानी कहते
जवाब देंहटाएंझाँक के देखो तो ज़रा
सारे पत्थर हैं या मरहम
आँक के देखो तो ज़रा....
वाह वाह !!! बहुत खूब गजब का लिखा है आपने बहुत ही सुंदर भाव संयोजन...
पीले पत्तों की खनक
जवाब देंहटाएंटोह के देखो तो ज़रा
ठहर जाती है खिजाँ
रोक के देखो तो ज़रा
Bahut Hi Sunder
वाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
bahut sunder...
जवाब देंहटाएंवक़्त की शाख से टूटे लम्हे
जवाब देंहटाएंटाँक के देखो तो ज़रा
टूटी है कोई डोर
झाँक के देखो तो ज़रा
बहुत सुन्दर भाव...
good
जवाब देंहटाएंनस-नस में बसा रावण
जवाब देंहटाएंकाँख में देखो तो ज़रा
खुदगर्जियाँ बनीं देहरी
लाँघ के देखो तो ज़रा
हिलते पानी की कहानी कहते
झाँक के देखो तो ज़रा
सारे पत्थर हैं या मरहम
आँक के देखो तो ज़रा
बहुत सुन्दर, लाजबाब रचना !
डॉक्टर राजेन्द्र जी ,
हटाएंयहाँ अपने अन्दर के रावण को ही कांख में यानि बगल में यानि अपने नियंत्रण में रखने के लिए कहा गया है ...सभी टिप्पणी कर्ताओं का बहुत बहुत धन्यवाद ..
पीले पत्तों की खनक
जवाब देंहटाएंटोह के देखो तो ज़रा
ठहर जाती है खिजाँ
रोक के देखो तो ज़रा
उफ़ कहाँ से खोज लाती हैं इतने गहरे और सुन्दर शब्द...इस भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें
नीरज
हिलते पानी की कहानी कहते
जवाब देंहटाएंझाँक के देखो तो ज़रा
सारे पत्थर हैं या मरहम
आँक के देखो तो ज़रा
बहुत ही बढि़या।
बहुत ही बढि़या,भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा लिखा है आप ने
जवाब देंहटाएंआप को होली की खूब सारी शुभकामनाएं
नए ब्लॉग पर आप सादर आमंत्रित है
नई पोस्ट
स्वास्थ्य के राज़ रसोई में: आंवले की चटनी
razrsoi.blogspot.com
bahut pasand aayee.....
जवाब देंहटाएं