मंगलवार, 7 अगस्त 2012

ज़िन्दगी की सोहबत


न तुम हमारे , न घर हमारा 
हम ही नादान हैं दिल लगाए हुए  

मजबूर हैं आदत से परिन्दे
तिनकों में हैं खुद को उलझाए हुए

अपनी दुनिया तो अँधेरी है
अपने क़दमों का दम भी भुलाए हुए

हाथ जो झटका तुमने
हैं आसमान तक छिटकाए हुए

हार गईं झूठी तसल्लियाँ
चला रहीं थीं जो भरमाये हुए

ये तो ज़िन्दगी की सोहबत है
सहराँ में है जो फूल खिलाये हुए

चले भी आओ के रुत बदली है
वफ़ा की बात भी है फलक पे छाये हुए

19 टिप्‍पणियां:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर शारदा जी,
सादर
अनु

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर शारदा जी,
सादर
अनु

Vinay ने कहा…

क्या कहने!

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S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

बहुत खूब...
सादर।

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही बढ़िया...
बहुत सुन्दर :-)

kshama ने कहा…

मजबूर हैं आदत से परिन्दे
तिनकों में हैं खुद को उलझाए हुए
Parinde to phirbhee tinke jod hee lete hain....ghonsla banaa hee lete hain....chahe toofan me ukhad jaye.....ye to insaan hain jo bikhar jate hain!
Behad khoobsoorat rachana!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

ये तो ज़िन्दगी की सोहबत है
सहराँ में है जो फूल खिलाये हुए

Bahut Sunder

Unknown ने कहा…

bahut sunder rachna....

Unknown ने कहा…

bahut sunder rachna....

अरुन अनन्त ने कहा…

मजबूर हैं आदत से परिन्दे
तिनकों में हैं खुद को उलझाए हुए
वाह बेहतरीन ग़ज़ल बहुत सुन्दर खास कर इस शे'र के कुछ ज्यादा ही दाद कुबूल कीजिये

Bhawna Kukreti ने कहा…

bahut hi umda rachana waah!!

Rajesh Kumari ने कहा…

मजबूर हैं आदत से परिन्दे
तिनकों में हैं खुद को उलझाए हुए-----वाह क्या कहने बहुत शानदार अभिव्यक्ति

dr.mahendrag ने कहा…

हार गईं झूठी तसल्लियाँ
चला रहीं थीं जो भरमाये हुए

ये तो ज़िन्दगी की सोहबत है
सहराँ में है जो फूल खिलाये हुए

मन कि भावनाओं को उकेरतीसी खूबसूरत रचना

palash ने कहा…

बहुत प्यारी रचना, बेहद कोमल भावों को समेटे हुये है

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

उम्दा शेर... बहुत अच्छी ग़ज़ल...बहुत बहुत बधाई...

Unknown ने कहा…

Wonderful writing coming from the heart. All the best in your endevour. God bless

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…


दिनांक 06/01/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!

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Rohitas Ghorela ने कहा…

aye haye ...maza aa gya ...waah

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Saras ने कहा…

ये तो ज़िन्दगी की सोहबत है
सहराँ में है जो फूल खिलाये हुए............बहुत ही उम्दा शेर