मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

इक ख़्वाब जरुरी है

खूबसूरती देखने के लिये , वो आँख जरूरी है 
दिल तक उतरने के लिये ,इक आब जरुरी है 

दम भरता है क़दमों में जो 
रँग भरने के लिये , इक ख़्वाब जरुरी है 

जाने कहाँ ले जाये हमें 
मंजिले-मक्सद के लिये ,  दिले-बेताब जरुरी है 

कितने ही मन्जर रोकें क़दमों को 
राहे-वफ़ा के लिये , असबाब जरूरी है 

सवाल-दर-सवाल है ज़िन्दगी गर 
ज़िन्दगी के लिये , ज़िन्दगी सा जवाब जरुरी है 

कहने को चल रहे हैं जुगनुओं के शहर में 
सहर के लिये मगर , आफ़ताब जरुरी है 

19 टिप्‍पणियां:

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.
"महिलाओं के स्वास्थ्य सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी
"

ashokkhachar56@gmail.com ने कहा…

waaaaaaaaaaah bhot khub waaah

समय चक्र ने कहा…

कहने को चल रहे हैं जुगनुओं के शहर में
सहर के लिये मगर , आफ़ताब जरुरी है

bahut sundar bhavapoorn ... abhaar

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

कहने को चल रहे हैं जुगनुओं के शहर में
सहर के लिये मगर , आफ़ताब जरुरी है,,,

वाह !!! बेहतरीन गजल ,आभार,
RECENT POST : क्यूँ चुप हो कुछ बोलो श्वेता.

shashi purwar ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (17-04-2013) के "साहित्य दर्पण " (चर्चा मंच-1210) पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
सूचनार्थ...सादर!

devendra gautam ने कहा…

bahut khoob!

Alpana Verma ने कहा…

दिल तक उतरने के लिये ,इक आब जरुरी है '

वाह! बहुत ही सुन्दर ख्याल है.

Shalini kaushik ने कहा…

.भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी. आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें दादा साहेब फाल्के और भारत रत्न :राजनीतिक हस्तक्षेप बंद हो . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

कहने को चल रहे हैं जुगनुओं के शहर में
सहर के लिये मगर , आफ़ताब जरुरी है

शानदार शेर.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कहने को चल रहे हैं जुगनुओं के शहर में
सहर के लिये मगर , आफ़ताब जरुरी है ..

सच कहा है ... सहर एक जुगनू से नहीं आती ... पुंज चाहिए रौशनी का ... लाजवाब शेर ...

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

कहने को चल रहे हैं जुगनुओं के शहर में
सहर के लिये मगर , आफ़ताब जरुरी है .-बहुत ही सुन्दर
आपभी मेरे ब्लॉग का अनुशरण करें, अच्छा लगेगा ,मैंने आपका किया है.
latest post"मेरे विचार मेरी अनुभूति " ब्लॉग की वर्षगांठ

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत सुन्दर शव्दों से सजी है आपकी गजल ,उम्दा पंक्तियाँ ..
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

वाह! अत्यंत रसमय प्रस्तुति | आभार

कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

dr.mahendrag ने कहा…


कहने को चल रहे हैं जुगनुओं के शहर में
सहर के लिये मगर , आफ़ताब जरुरी है
sundar rachna

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत ही सुन्दर कविता |

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना |आभार

Onkar ने कहा…

सुन्दर रचना

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24-02-2019) को "समय-समय का फेर" (चर्चा अंक-3257) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Onkar ने कहा…

बढ़िया