शुक्रवार, 19 जून 2009

निशानी तेरी मेरे पास

चेहरा चमकता है सिन्दूरी आभा से
ये ही बेहतर निशानी तेरी मेरे पास

दिलों के मिलने के सबब होते हैं थोड़े
लम्बे रास्तों में जगमगाते हैं साथ-साथ

दूरियाँ कितनी भी हों चाहे भले
फासले दिलों के हों तो कर जाते हैं उदास

जगते मद्धिम दीये हों जैसे
तेरे ख्याल की रोशनी के साथ साथ

दिल को पढना हो पढ़ लो इसी रँग को
चेहरे पे छपा होता है अनगिनत रंगों के साथ


12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर लगी आपकी भावनाये ..........बहुत सुन्दर

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  2. दूरियाँ कितनी भी हों चाहे भले
    फासले दिलों के हों तो कर जाते हैं उदास

    वाह...दूरियां और फासले दोनों लफ्जों का क्या खूब प्रयोग किया है...बेहतरीन रचना...
    नीरज

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  3. "दिलों के मिलने के सबब होते हैं थोड़े
    लम्बे रास्तों में जगमगाते हैं साथ-साथ"
    आशावाद की अभिव्यक्ति को
    अपने में सिमेटे सुन्दर रचना।

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  4. बहुत खूब।

    सिन्दूरी आभा लिए यही निशानी पास।
    भाव समर्पण का लिए रचना बिल्कुल खास।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  5. दिलों के मिलने के सबब होते हैं थोड़े
    लम्बे रास्तों में जगमगाते हैं साथ-साथ
    बहुत सुन्दर रचना

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  6. आप की भावाभिव्यक्ति बहुत सुन्दर है

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  7. फासले दिलों के हों तो कर जाते हैं उदास

    sundar,komal aur behtreen ...badhai

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  8. बहुत सुन्दर----बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  9. दिल को पढना हो पढ़ लो इसी रँग को
    चेहरे पे छपा होता है अनगिनत रंगों के साथ
    bhut hi sundra bhav kitni safai se chote shabo me badi baat kah dii mera prnaam sweekaar karo
    saadar
    praveen pathik
    9971969084

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  10. sharda ji, aapki bahatareen abhivyakti ke liye aapko badhai ke saath aapka mere blog par aane aur comment karne ke liye dhanyawaad deta haun.

    kshama karen aapki tippni anjaane/anchaahe delete ho gai.punah padharen.

    iske saath hi maine aapke blog ko apni pasand bana liya hai. dhanyawaad.

    जवाब देंहटाएं

मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं