जो जी चाहे वो घड़ियाँ याद कर लेना
जो साथ गुजरीं थीं वो कड़ियाँ आबाद कर लेना
१ नहीं मालूम हमको है , कहाँ जाती हैं ये राहें
हमें मालूम इतना है , बड़ी प्यासी हैं ये रूहें
बड़ी प्यासी हैं ये रूहें
२ कहाँ मिट्टी के माधो तुम , कहाँ हूँ मैं भी ठहरी सी
टकरा के किन्हीं नाजुक पलों में , न तन्हाँ छोड़ जाना तुम
न तन्हाँ छोड़ जाना तुम
३ वादे होते हैं सात जन्मों के , इरादे हों वफ़ा के जो
थोड़ी सुबहें , थोड़ी शामें , ये जन्म तो आशना के नाम हो जाए
आशना के नाम हो जाए
अच्छी रचना...दिल से लिखी हुई...वाह...
जवाब देंहटाएंनीरज
जो जी चाहे वो घड़ियाँ याद कर लेना
जवाब देंहटाएंजो साथ गुजरीं थीं वो कड़ियाँ आबाद कर लेना !
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
विरह-व्यथा है गीत, गीत में छाई करुण कथा है।
जवाब देंहटाएंयादों और वादों की इसमें मुखरित हुई व्यथा है।।
सीधी-सच्ची बात यही है, समय बदलता रहता है।
पानी कभी बर्फ बनता और कभी पिघलता रहता है।।
Wahwa...
जवाब देंहटाएंshaardaji kamaal hai.....
जवाब देंहटाएंaapki shabdaavali bhi
aur aapki kaavyashaili bhi
vaakai khoob soorat rachna............
badhaai !
Bahut sundar rachana..really its awesome...
जवाब देंहटाएंRegards..
DevSangeet
कहाँ मिट्टी के माधो तुम , कहाँ हूँ मैं भी ठहरी सी
जवाब देंहटाएंटकरा के किन्हीं नाजुक पलों में , न तन्हाँ छोड़ जाना तुम
न तन्हाँ छोड़ जाना तुम
pyarasa anunnay
achhi rachna
badhai