गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

मैं वो बात नहीं छेड़ूँगी

मैं वो बात नहीं छेड़ूँगी , वो तेरा दिल दुखायेगी
मेरा क्या है , वो तेरे जख्मों को छेड़ जायेगी

बाद मुद्दत के सही , पुरवाई तो चली
थाम लम्हों को , किस्मत तो सँवर जायेगी

मोड़ तो आते हैं , सफर में भी कई
रुक गए तो , तन्हाई भी ठहर जायेगी

भूलता कोई नहीं , रहे अन्जान बेशक
बातों-बातों में , थोड़ी तबियत तो बहल जायेगी

10 टिप्‍पणियां:

  1. मोड़ तो आते हैं , सफर में भी कई
    रुक गए तो , तन्हाई भी ठहर जायेगी

    भूलता कोई नहीं , रहे अन्जान बेशक
    बातों-बातों में , थोड़ी तबियत तो बहल जायेगी

    Ati Sundar !

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  2. मैं वो बात नहीं छेड़ूँगी , वो तेरा दिल दुखायेगी
    मेरा क्या है , वो तेरे जख्मों को छेड़ जायेगी...

    बहुत अछा शेर है ......... ऐसी बात क्या करनी जो किसी का दिल दुखाए ......
    पूरी ग़ज़ल लाजवाब आयी ......

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  3. मुझे तो ये शेर सबसे ज्यादा पसंद आया है....
    बाद मुद्दत के सही पुरवाई तो चली
    थाम लम्हों को किस्मत तो संवर जायेगी
    शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

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  4. ये पंक्तियाँ बड़ी सुन्दर बन गयी है ...
    '' मोड़ तो आते हैं , सफर में भी कई
    रुक गए तो , तन्हाई भी ठहर जायेगी ''
    सहज अउर प्रभावमय ...
    ............. आभार .................

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  5. मोड़ तो आते हैं , सफर में भी कई
    रुक गए तो , तन्हाई भी ठहर जायेगी


    bahut khoob, badhaai.

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  6. मोड़ तो आते हैं , सफर में भी कई
    रुक गए तो , तन्हाई भी ठहर जायेगी
    बहुत सुन्दर रचना.

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  7. मैं वो बात नहीं छेड़ूँगी , वो तेरा दिल दुखायेगी
    मेरा क्या है , वो तेरे जख्मों को छेड़ जायेगी...
    saral sabdon mein sundar bhavon ko piroya hai aapne, badhai

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  8. भूलता कोई नहीं , रहे अन्जान बेशक
    बातों-बातों में , थोड़ी तबियत तो बहल जायेगी
    ... बहुत खूब !!!!

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  9. बहुत ही अच्‍छी कविता लिखी है
    आपने काबिलेतारीफ बेहतरीन


    SANJAY KUMAR
    HARYANA
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं