शनिवार, 28 अगस्त 2010

जब भी लय छूटे

टूटती है लय तो होती है धमक
ताल मिलाती लय भी चलेगी कब तक

हड्डियों में रच बस गया है जो
धुआँ वजूद का हिस्सा है तपेगा कब तक

तन ने कहा ही नहीं मन ने जिया जिसको
कलम के जिम्मे ये सफ़र बतलाओ कब तक

हदें मिटती हैं तो सरहदें टूटती हैं
खानाबदोशों की तरह गम खायेगा कब तक

खुशबुएँ दूर से ही लगतीं अच्छी
ख्यालों में तितलियों को पकड़ पायेगा कब तक

तान टूटे जब भी लय छूटे
जिन्दगी गीत है हर हाल में मुस्कराएगा कब तक


कलम की जगह किसी किसी के लिये अश्कों के जिम्मे भी हो सकता है ये सफ़र !

14 टिप्‍पणियां:

  1. हदें मिटती हैं तो सरहदें टूटती हैं
    खानाबदोशों की तरह गम खायेगा कब तक
    उत्तम विचार। बस इतना ही कि

    परबति परबति मैं फिर्‌या, नैन गँवाए रोइ।
    सो बूटी पाऊँ नहीं, जातैं जीवनि होइ॥

    जवाब देंहटाएं
  2. क्या बात है , लाजवाब और बेहतरिन रचना लगी ।

    जवाब देंहटाएं
  3. हदें मिटती हैं तो सरहदें टूटती हैं
    खानाबदोशों की तरह गम खायेगा कब तक

    बहुत बढ़िया लाजवाब कविता... बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. खुशबुएँ दूर से ही लगतीं अच्छी
    ख्यालों में तितलियों को पकड़ पायेगा कब तक

    बहुत सुंदर, भावपूर्ण रचना

    जवाब देंहटाएं
  5. खुशबुएँ दूर से ही लगतीं अच्छी
    ख्यालों में तितलियों को पकड़ पायेगा कब तक
    शारदा जी बहुत अच्छी रचना है..
    मुझे अपनी एक ग़ज़ल याद आ गई, मक्ता और मतला मुलाहिजा फरमाएं..
    "खुद से नजरे चुराओगे कब तक?
    आईनों से घबराओगे कब तक?

    इतनी कहानियाँ तो सुना चुके 'हबीब'
    असली मुद्दे पर आओगे कब तक?"
    aapko badhai.

    जवाब देंहटाएं
  6. तन ने कहा ही नहीं मन ने जिया जिसको
    कलम के जिम्मे ये सफ़र बतलाओ कब तक

    -बहुत सुन्दर..बढिया लगी रचना.

    जवाब देंहटाएं
  7. खुशबुएँ दूर से ही लगतीं अच्छी
    ख्यालों में तितलियों को पकड़ पायेगा कब तक ...

    बहुत ही हक़ीकत भरा शेर है .... सच में जीना .. आज में जीना ही जीवन है ....

    जवाब देंहटाएं
  8. तन ने कहा ही नहीं मन ने जिया जिसको
    कलम के जिम्मे ये सफ़र बतलाओ कब तक

    वाह बहुत खूब...अच्छी रचना...बधाई
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  9. तन ने कहा ही नहीं मन ने जिया जिसको
    कलम के जिम्मे ये सफ़र बतलाओ कब तक
    वाह...वाह
    बहुत अच्छी रचना है...

    अगर आपका कलाम शायरी के पैमाने में ढल जाए, तो इसमें और निखार आ जाएगा.
    बधाई स्वीकार करें.

    जवाब देंहटाएं
  10. लाजवाब !
    लामिसाल !
    _____________उम्दा रचना.............

    जवाब देंहटाएं
  11. खुशबुएँ दूर से ही लगतीं अच्छी..
    ख्यालों में तितलियों को पकड़ पायेगा कब तक
    .. बहुत खूब... तितलियों के साथ खेलने वाला बाल मन बरकरार रह जाए, तो इस दौर में यह क्या कम है?

    जवाब देंहटाएं

मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं