इसे जरा ' प्यार का पहला ख़त लिखने में वक्त तो लगता है ' की तर्ज पर गुनगुनाएँ ...
उधड़े रिश्ते सिलने में वक्त तो लगता है
बिखरे तिनके चुनने में वक्त तो लगता है
उलझ गए हैं मन के धागे
सुलझाने में , रेशमी गाँठें फिर खुलने में वक्त तो लगता है
बिखरे तिनके चुनने में वक्त तो लगता है
बिखर गए जो अरमाँ अपने
उजड़ी बस्ती , वीराने को फिर बसने में वक्त तो लगता है
बिखरे तिनके चुनने में वक्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त ये नहीं है
बिखरी उमंगें , फिर चुनने में दम बड़ा लगता है
बिखरे तिनके चुनने में वक्त तो लगता है
उधड़े रिश्ते सिलने में वक्त तो लगता है
बिखरे तिनके चुनने में वक्त तो लगता है
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंअच्छी पंक्तिया सृजित की है आपने ........
भाषा का सवाल सत्ता के साथ बदलता है.अंग्रेज़ी के साथ सत्ता की मौजूदगी हमेशा से रही है. उसे सुनाई ही अंग्रेज़ी पड़ती है और सत्ता चलाने के लिए उसे ज़रुरत भी अंग्रेज़ी की ही पड़ती है,
हिंदी दिवस की शुभ कामनाएं
एक बार इसे जरुर पढ़े, आपको पसंद आएगा :-
(प्यारी सीता, मैं यहाँ खुश हूँ, आशा है तू भी ठीक होगी .....)
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_14.html
बहुत सुंदर गीत लिखा शारदा जी .....
जवाब देंहटाएंये ग़ज़ल हस्ती मल हस्ती की लिखी हुई है ...जिसे जगजीत सिंह जी ने आवाज़ दी ......!!
उधड़े रिश्ते सिलने में वक्त तो लगता है
जवाब देंहटाएंबिखरे तिनके चुनने में वक्त तो लगता है
इन पंक्तियों को पढ़ते पढ़ते पूरी ग़ज़ल सामने आ गयी ... लाजवाब पंक्तियाँ है आपकी ....
Phir ekbaar aapne gazab kiya hai!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण गीत लिखा हैँ आपने । बधाई! -: VISIT MY BLOG :- (1.) जिसको तुम अपना कहते हो..........कविता को पढ़कर तथा Mind and body researches.......ब्लोग को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप उपरोक्त लिखी कविता की पंक्ति पर क्लिक कर सकती हैँ।
जवाब देंहटाएंआपने तो गज़ब ढा दिया :)
जवाब देंहटाएंउधड़े रिश्ते सिलने में वक्त तो लगता है
जवाब देंहटाएंबिखरे तिनके चुनने में वक्त तो लगता है
एक एक बात सोलह आने सत्य दिल पर से गुजरती हुई कानों में ठहर गयी है
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंbikhre tinke chunane me to vakt lagta hai.....:)
जवाब देंहटाएंbadi pyari see baat kahi aapne, badhai...:)
ab follow kar raha hoon, barabar aate rahunga...!!
सच कहा……………वक्त तो लगता है क्योंकि हर गम का इलाज वक्त ही करता है तो फिर रिश्ता कैसा भी हो वक्त तो लगेगा ही।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत लिखा है । सच को बयान करती सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत सुन्दर भाव ....
जवाब देंहटाएंउधड़े रिश्ते सिलने में वक्त तो लगता है
जवाब देंहटाएंबिखरे तिनके चुनने में वक्त तो लगता है
.....bahut sundar pankiyan.. bahut achhi bhavpurn rachna...dhanyavaad
:)
जवाब देंहटाएंक्रिएटिव काम करने में वक्त तो लगता ही है।
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ब्लॉगर्स की इज्जत का सवाल है।
कम उम्र में माँ बनती लड़कियों का एक सच।
सच कहा वक्त तो लगता है. सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंइस बेहद सुन्दर और प्रभावी गीत के लिए सादर बधाई प्रेषित है कृपया स्वीकार करें........!!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर गीत.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंऔर समय ठहर गया!, ज्ञान चंद्र ‘मर्मज्ञ’, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
आपकी शख्सियत औरों से कुछ जुदा सी लगती है ..........आप काफी creative है .....ये प्रयास बहुत ही अच्छा लगा ........सुभानाल्लाह |
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