आ तुझे बता दूँ मैं , कि कैसे जिया जाता है
कैसे पलकों पे , सपनों को सिया जाता है
रुसवाई कैसी भी हो , जीवन से नहीं बढ़ कर है
लम्हे लम्हे को पी कर के , उत्सव को जिया जाता है
रूठे खुद से हो , सपनों की दुहाई देते हो
चाहत के रेशमी धागों से , जख्मों को सिया जाता है
जोश और जुनूनों को , किनारों का पहनावा दे कर
रँग और नूर की बरसातों से , खुशबू को पिया जाता है
आ तुझे बता दूँ मैं , कि कैसे जिया जाता है
कैसे पलकों पे , सपनों को सिया जाता है
किताब मिली --शुक्रिया - 21
5 दिन पहले
बहुत खुब। शानदार रचना। आभार।
जवाब देंहटाएंरूठे खुद से हो , सपनों की दुहाई देते हो
जवाब देंहटाएंचाहत के रेशमी धागों से , जख्मों को सिया जाता है
Wah! Harek pankti dohrayee jaa saktee hai!
रुसवाई कैसी भी हो , जीवन से नहीं बढ़ कर है
जवाब देंहटाएंलम्हे लम्हे को पी कर के , उत्सव को जिया जाता है
बहुत सुंदर बात कही....
रुसवाई कैसी भी हो , जीवन से नहीं बढ़ कर है
जवाब देंहटाएंलम्हे लम्हे को पी कर के , उत्सव को जिया जाता है
बहुत सुन्दर संदेश दिया है शारदा जी, वाह.
रूठे खुद से हो , सपनों की दुहाई देते हो
जवाब देंहटाएंचाहत के रेशमी धागों से , जख्मों को सिया जाता है
wah kya baat hai..
behatreen rachana.
आ तुझे बता दूँ मैं , कि कैसे जिया जाता है
जवाब देंहटाएंकैसे पलकों पे , सपनों को सिया जाता है
----वाह...बहुत खूब!
शारदा जी......एक सकरात्मक उर्जा देती अहि आपकी ये पोस्ट ......बहुत सुन्दर.....पर मुझे लगा की जहाँ आपने छोटी 'इ' की मात्र का इस्तेमाल किया है वहां पर बड़ी 'ई' का इस्तेमाल होना चाहिए था.......
जवाब देंहटाएंजैसे - जिया - जीया
बहुत अच्छी रचना...बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
रूठे खुद से हो , सपनों की दुहाई देते हो
जवाब देंहटाएंचाहत के रेशमी धागों से , जख्मों को सिया जाता है
खुबसूरत रचना, बधाई
शारदा जी बहुत सुंदर रचना। हार्दिक बधाई।
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देखिए ब्लॉग समीक्षा की बारहवीं कड़ी।
अंधविश्वासी आज भी रत्नों की अंगूठी पहनते हैं।
रूठे खुद से हो , सपनों की दुहाई देते हो
जवाब देंहटाएंचाहत के रेशमी धागों से , जख्मों को सिया जाता है bahut khoobsurat..
सब का बहुत बहुत धन्यवाद , इमरान जी , यहाँ संदेह की गुंजाइश नहीं है , जीना सीना तो होता है मगर जीया सीया बोलने पर बड़ी ई का उच्चारण बहुत लटका कर हो जाता है ...हिंदी में जिया जाता है या सिया जाता है ही कहा जाएगा । अपने बच्चों को जब हिंदी सिखाई थी तो हिंदी का ज्ञान रिवाइंड हो गया था । हाँ उर्दू की गल्तियाँ जरुर हो सकती हैं , इसीलिए भारी शब्दों का इस्तेमाल मैं नहीं करती , क्योंकि जिस भाषा पर अपनी पकड़ कमजोर हो ,उसमें आत्मविश्वास के साथ नहीं लिखा जा सकता । धन्यवाद ...
जवाब देंहटाएंvery nice !!!
जवाब देंहटाएंto research ur Raam..visit now ---
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रुसवाई कैसी भी हो , जीवन से नहीं बढ़ कर है
जवाब देंहटाएंलम्हे लम्हे को पी कर के , उत्सव को जिया जाता है
लाख रुसवाियों के बाद भी जीते जाना ही जिंदगी है... जिंदगी से हार नहीं मानना चाहिे... बहुत बढ़िया जीवन दर्शन है.... बधाई.....
आ तुझे बता दूँ मैं , कि कैसे जिया जाता है
जवाब देंहटाएंकैसे पलकों पे , सपनों को सिया जाता है
----वाह...बहुत खूब!