शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

अदब के शहर में ( लखनऊ के लिये )

बच्चों की किसी फ्रेंड ने फेसबुक पर लिखा ...मुस्कुराइए के ये लखनऊ है ...बस यहीं से इस रचना का जन्म हुआ ....


मुस्कुराइए के ये अदब है
अदब के शहर में अदब से पेश आइये

ये वो शहर है , अजनबी भी
लगता अपना सा ही , जान जाइए

मुहब्बतों में नहीं होता तेरा मेरा
सुकून दिल का पहचान जाइए

मन्जिल भी सबकी एक ही है
राहों का पता जान जाइए

वफ़ा की वादियों में चलना है
तहज़ीबे-इश्क पर परवान जाइए

गुलाबी रँगत है , तहज़ीबे गँगा-जमनी
झुका के सर कुर्बान जाइए

आए हैं सैर को नवाबों के शहर में
गुलाबों की तरह यूँ मुस्कुराइए

लगा के देखिये चेहरे पे दो इँच चौड़ी मुस्कान
जिगर में उतर कर , राह चलतों को अपना बनाइये


15 टिप्‍पणियां:

  1. लगा के देखिये चेहरे पे दो इँच चौड़ी मुस्कान
    जिगर में उतर कर , राह चलतों को अपना बनाइये
    ..वाह!
    .बहुत ही सुन्दर लखनवी अंदाज में रची-बसी प्यारी सौंधी रचना प्रस्तुति हेतु आभार!

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  2. गुलाबी मुस्कराहट और बाअदब इस लखनवी नफासत से पेश प्रस्तुति के लिये सलाम.

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  3. adab ke shahar mein
    ab sa bedab dikhte
    baatein mohabbat kee karte
    gar andar jhaank kar dekh le
    fitrat apnee jaan lein
    masle sabhee sulajh jaayenge
    adab ke shahar mein
    phir adab se rahne lagenge


    sundar bahut,sundar bade adab se likhaa hai aapne
    apnee taraf se kuchh likhne kee gustaakhee ke liye maafee

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  4. इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.

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  5. मन्जिल भी सबकी एक ही है
    राहों का पता जान जाइए
    सुन्दर!

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  6. .बहुत ही सुन्दर लखनवी अंदाज में रची-बसी प्यारी सौंधी रचना प्रस्तुति हेतु आभार!समय मिले तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

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  7. लगा के देखिये चेहरे पे दो इँच चौड़ी मुस्कान
    जिगर में उतर कर , राह चलतों को अपना बनाइये

    वाह ! सुंदर और सत्य वचन !!
    एक छोटी सी मुस्कान और पूरा जहां हमारा

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  8. आए हैं सैर को नवाबों के शहर में
    गुलाबों की तरह यूँ मुस्कुराइए

    बहुत सुन्दर .. वैसे भी लखनऊ स्टेशन पर लिखा देखा था 'मुस्करईये कि आप लखनऊ में हैं' पता नहीं अब है या नहीं

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  9. वक्त के साथ बदल जाता है बहुत कुछ
    मगर यादों में इतिहास को जिन्दा रखिये

    यही कह सकती हूँ ...
    खो न जाए वो नफासत , नजाकत
    और संगीत भरे माहौल को जिन्दा रखिये ...

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  10. बेहतरीन गजल के लिए शुक्रिया.

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  11. लगा के देखिये चेहरे पे दो इँच चौड़ी मुस्कान
    जिगर में उतर कर , राह चलतों को अपना बनाइये
    बहुत सुंदर रचना...

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  12. लगा के देखिये चेहरे पे दो इँच चौड़ी मुस्कान
    वाह! बेहतरीन खयाल....
    सादर....

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मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं