बच्चों की किसी फ्रेंड ने फेसबुक पर लिखा ...मुस्कुराइए के ये लखनऊ है ...बस यहीं से इस रचना का जन्म हुआ ....
मुस्कुराइए के ये अदब है
अदब के शहर में अदब से पेश आइये
ये वो शहर है , अजनबी भी
लगता अपना सा ही , जान जाइए
मुहब्बतों में नहीं होता तेरा मेरा
सुकून दिल का पहचान जाइए
मन्जिल भी सबकी एक ही है
राहों का पता जान जाइए
वफ़ा की वादियों में चलना है
तहज़ीबे-इश्क पर परवान जाइए
गुलाबी रँगत है , तहज़ीबे गँगा-जमनी
झुका के सर कुर्बान जाइए
आए हैं सैर को नवाबों के शहर में
गुलाबों की तरह यूँ मुस्कुराइए
लगा के देखिये चेहरे पे दो इँच चौड़ी मुस्कान
जिगर में उतर कर , राह चलतों को अपना बनाइये
अदब के शहर में अदब से पेश आइये
ये वो शहर है , अजनबी भी
लगता अपना सा ही , जान जाइए
मुहब्बतों में नहीं होता तेरा मेरा
सुकून दिल का पहचान जाइए
मन्जिल भी सबकी एक ही है
राहों का पता जान जाइए
वफ़ा की वादियों में चलना है
तहज़ीबे-इश्क पर परवान जाइए
गुलाबी रँगत है , तहज़ीबे गँगा-जमनी
झुका के सर कुर्बान जाइए
आए हैं सैर को नवाबों के शहर में
गुलाबों की तरह यूँ मुस्कुराइए
लगा के देखिये चेहरे पे दो इँच चौड़ी मुस्कान
जिगर में उतर कर , राह चलतों को अपना बनाइये
लगा के देखिये चेहरे पे दो इँच चौड़ी मुस्कान
जवाब देंहटाएंजिगर में उतर कर , राह चलतों को अपना बनाइये
..वाह!
.बहुत ही सुन्दर लखनवी अंदाज में रची-बसी प्यारी सौंधी रचना प्रस्तुति हेतु आभार!
गुलाबी मुस्कराहट और बाअदब इस लखनवी नफासत से पेश प्रस्तुति के लिये सलाम.
जवाब देंहटाएंadab ke shahar mein
जवाब देंहटाएंab sa bedab dikhte
baatein mohabbat kee karte
gar andar jhaank kar dekh le
fitrat apnee jaan lein
masle sabhee sulajh jaayenge
adab ke shahar mein
phir adab se rahne lagenge
sundar bahut,sundar bade adab se likhaa hai aapne
apnee taraf se kuchh likhne kee gustaakhee ke liye maafee
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंमन्जिल भी सबकी एक ही है
जवाब देंहटाएंराहों का पता जान जाइए
सुन्दर!
.बहुत ही सुन्दर लखनवी अंदाज में रची-बसी प्यारी सौंधी रचना प्रस्तुति हेतु आभार!समय मिले तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंलगा के देखिये चेहरे पे दो इँच चौड़ी मुस्कान
जवाब देंहटाएंजिगर में उतर कर , राह चलतों को अपना बनाइये
वाह ! सुंदर और सत्य वचन !!
एक छोटी सी मुस्कान और पूरा जहां हमारा
आए हैं सैर को नवाबों के शहर में
जवाब देंहटाएंगुलाबों की तरह यूँ मुस्कुराइए
बहुत सुन्दर .. वैसे भी लखनऊ स्टेशन पर लिखा देखा था 'मुस्करईये कि आप लखनऊ में हैं' पता नहीं अब है या नहीं
वक्त के साथ बदल जाता है बहुत कुछ
जवाब देंहटाएंमगर यादों में इतिहास को जिन्दा रखिये
यही कह सकती हूँ ...
खो न जाए वो नफासत , नजाकत
और संगीत भरे माहौल को जिन्दा रखिये ...
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
बेहतरीन गजल के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंलगा के देखिये चेहरे पे दो इँच चौड़ी मुस्कान
जवाब देंहटाएंजिगर में उतर कर , राह चलतों को अपना बनाइये
बहुत सुंदर रचना...
लगा के देखिये चेहरे पे दो इँच चौड़ी मुस्कान
जवाब देंहटाएंवाह! बेहतरीन खयाल....
सादर....
bahut khooob....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति।
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