वक्त ने हमको चुना
चोट खाने के लिये
मंज़िलें और भी हैं
राह दिखाने के लिये
कौन जीता है भला
गम उठाने के लिये
वक़्त आड़ा ही सही
साथ बिताने के लिये
रफू करना कला है
जिन्दगी बचाने के लिये
उधड़ गए तो सिले
गले लगाने के लिये
हिला रहा है कोई
हमको जगाने के लिये
उठो , अहतराम कर लो
ताल मिलाने के लिये
किताब मिली --शुक्रिया - 21
4 दिन पहले
वक्त ने हमको चुना
जवाब देंहटाएंचोट खाने के लिये
मंज़िलें और भी हैं
राह दिखाने के लिये
वाह! शानदार गजल....
सादर बधाई...
रफू करना कला है
जवाब देंहटाएंजिन्दगी बचाने के लिये
उधड़ गए तो सिले
गले लगाने के लिये
Bahut hee kamaal kee panktiyan hain!
bahut achhee......
जवाब देंहटाएंजीवन
जीना है तो
लड़ना है
लड़ना है तो
चोट भी खाना है
जीवन का अंत
ऐसे ही होना है
zakhm kkhaate rahnaa
phir malham lagaane kaa
silsilaa
chaltaa rahaa hai
chaltaa rahegaa
khoobsurat gazal...
जवाब देंहटाएंरफू करना कला है
जवाब देंहटाएंजिन्दगी बचाने के लिये
वाह...दाद कबूल फरमाएं
नीरज
मंज़िले और भी है
जवाब देंहटाएंरह दिखाने के लिए....
वाह!!! बहुत खूब लिखा है आपने बधाई समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
रफू करना कला है
जवाब देंहटाएंजिन्दगी बचाने के लिये
अच्छे शेर दाद कुबूल करें ...
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है! आपके ब्लॉग पर अधिक से अधिक पाठक पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
जवाब देंहटाएंआपके पोस्ट पर आकर अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट शिवपूजन सहाय पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद
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आदरणीया शारदा अरोरा जी
सस्नेहाभिवादन !
वक्त ने हमको चुना
चोट खाने के लिये
मंज़िलें और भी हैं
राह दिखाने के लिये
वाऽऽह्… ! बहुत ख़ूबसूरत !
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
रफू करना कला है
जवाब देंहटाएंजिन्दगी बचाने के लिये
वाह!
वक्त ने हमको चुना ...
जवाब देंहटाएंबह्हुत ही लाजवाब और बेहतरीन .... यथार्थ की प्रस्तुति है ...
उठो,अहतराम कर लो
जवाब देंहटाएंताल मिलाने के लिये
प्रेरित करती रचना.
waqt ne humko chuna...ye sawal uthta hai kabhi kabhi..sundar rachna
जवाब देंहटाएंलाजबाब प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
Matrimonial Site
रफू करना कला है
जवाब देंहटाएंजिन्दगी बचाने के लिये
उधड़ गए तो सिले
गले लगाने के लिये
हिला रहा है कोई
हमको जगाने के लिये
Achhe ashaar hai, badhai