मुक्कमिल जहाँ किसे मिलता
कहीं ज़मीन कम , तो है कहीं आसमान कम
ये आदमी की मर्ज़ी है , कभी तम्बू सी ले
कभी दरारें भर ले , ताकि ज़ख्म नजर आयें कम
सपने के बिना उड़ान होती नहीं
पँख दिये हैं खुदा ने , फिर भी है मीठी नीँद कम
खूने-जिगर से सीँच लो चाहे कितना
पैसे से खरीद लो मगर रिश्ते देंगे सुकून कम
मजबूरी ,इम्तिहान , हौसला है गर ज़िन्दगी का नाम
इसीलिये ज़ायका नमक नमक है मीठा कम
बहुत मुश्किल है बुरे वक्त को गुज़रते हुए देखना
टूटी हुई रीढ़ के साथ ज़िन्दगी चल पाती है कम
हम दोनों हाथों से सँभाल लें ऐ ज़िन्दगी तुझे
पकड़ के रख लें मगर तुम क़ैद हो पाती हो कम कम
कहीं ज़मीन कम , तो है कहीं आसमान कम
ये आदमी की मर्ज़ी है , कभी तम्बू सी ले
कभी दरारें भर ले , ताकि ज़ख्म नजर आयें कम
सपने के बिना उड़ान होती नहीं
पँख दिये हैं खुदा ने , फिर भी है मीठी नीँद कम
खूने-जिगर से सीँच लो चाहे कितना
पैसे से खरीद लो मगर रिश्ते देंगे सुकून कम
मजबूरी ,इम्तिहान , हौसला है गर ज़िन्दगी का नाम
इसीलिये ज़ायका नमक नमक है मीठा कम
बहुत मुश्किल है बुरे वक्त को गुज़रते हुए देखना
टूटी हुई रीढ़ के साथ ज़िन्दगी चल पाती है कम
हम दोनों हाथों से सँभाल लें ऐ ज़िन्दगी तुझे
पकड़ के रख लें मगर तुम क़ैद हो पाती हो कम कम
मजबूरी ,इम्तिहान , हौसला है गर ज़िन्दगी का नाम
जवाब देंहटाएंइसीलिये ज़ायका नमक नमक है मीठा कम
वाह क्या बात है खुबसूरत रचना, बेहद उम्दा
खूबसूरत लाइनें...जिंदगी के इतने रंग की सभी समेट पाते नहीं..पकड़ते-पकड़ते लगात ह जीवन छूट रहा है..तो कभी कभी निकलते-निकलते जिदंगी आपको अपने आगोस में लपेट लेती है।
जवाब देंहटाएंbadhiya...bahut khoob...
जवाब देंहटाएंVaah ... Sabhi sher naye andaj ke ...
जवाब देंहटाएंLajawab ...
कहीं ज़मीन कम , तो है कहीं आसमान कम
जवाब देंहटाएंyahi hota aaya hai.....