सफ़र में कोई आड़ ही सही
टिमटिमाती लौ की सँभाल ही सही
चढ़ा जो आसमाँ में है
अपना ख्याल ही सही
मन लगाने के लिए
किसी राग का धमाल ही सही
हो आँख में आँसू तो
हाथ में रुमाल ही सही
न हुई ईद तो क्या
रोज़े की मिसाल ही सही
मिटा डालेगी नमी अपनी
बार बार सवाल ही सही
टिमटिमाती लौ की सँभाल ही सही
चढ़ा जो आसमाँ में है
अपना ख्याल ही सही
मन लगाने के लिए
किसी राग का धमाल ही सही
हो आँख में आँसू तो
हाथ में रुमाल ही सही
न हुई ईद तो क्या
रोज़े की मिसाल ही सही
मिटा डालेगी नमी अपनी
बार बार सवाल ही सही




10 टिप्पणियां:
bahut khoob...
बहुत अच्छे शब्द
शानदार लेखन, बधाई !!!
चढ़ा जो आसमाँ में है
अपना ख्याल ही सही
वाह
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.
न हुई ईद तो क्या
रोज़े की मिसाल ही सही ..
बहुत खूब ... सच है मिसाल तो बनता ही है चाँद ... अलग से भाव लिएर सुन्दर शेर हैं सभी ...
चढ़ा जो आसमाँ में है
अपना ख्याल ही सही !
वाह! बहुत खूब लिखा है.
बहुत सुन्दर,प्यारी रचना..
:-) फुर्सत मिले तो आदत मुस्कुराने की पर ज़रूर आईये
Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने आपकी पोस्ट " हाथ में रुमाल ही सही " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
मन लगाने के लिए
किसी राग का धमाल ही सही
हो आँख में आँसू तो
हाथ में रुमाल ही सही
:)
बहुत ख़ूब !
आदरणीया शारदा अरोरा जी
अच्छा लिखा है ...
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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ye tippni galti se delete ho gaee thi ....
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