रविवार, 8 अगस्त 2021

इतनी सी ज़िन्दगी

इतनी सी ज़िन्दगी है ,
आज है कल नहीं है 
यूँ तो है ये मुट्ठी में ,
फिसली तो बस नहीं है 

उट्ठे जो दिल में नेकी ,
कर डालो बस अभी तुम 
मन की है ये ही फितरत ,
बदले तो हद नहीं है 

आँखों में बसी जो सूरत ,
तरसेंगें देखने को भी 
अहसास तो यहीं हैं ,
वो मूरत ही बस नहीं है 

मिलने के सौ बहाने ,
छोड़ो न एक भी तुम 
क्या पता है कल क्या होगा ,
वक़्त है भी या नहीं है 


1 टिप्पणी:

  1. उम्मीद करते हैं आप अच्छे होंगे

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मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं