गाते हैं तेरे हौसले
गाता है धरती आसमान
गाते हैं तेरे मन प्राण
बोलती है आँखों की जुबान
माहौल में रचे बसे
मन की तहें खोलते
अबीर और हिना की तरह
रँग छोड़ते निशान
एक सिरा तेरे हाथ है
दूसरा आँधियों के पार
सूरज को मात देती
हौसले की ये मुस्कान
गाते हैं तेरे हौसले
गाता है धरती आसमान
गाता है धरती आसमान
धरती गगन को नापती
तेरे पँखों की उड़ान
आपका सहयोग चाहूँगा कि मेरे नये ब्लाग के बारे में आपके मित्र भी जाने,
जवाब देंहटाएंब्लागिंग या अंतरजाल तकनीक से सम्बंधित कोई प्रश्न है अवश्य अवगत करायें
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
सकारात्मक सोच को बढावा देती..होसलों भरी कविता..बहुत अच्छी है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सोच के साथ सुंदर रचना...बधाई।
जवाब देंहटाएंवाह ! Sarthak Sundar लाजवाब !
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