शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

मेरे माही ते चानणे दा रँग इक

ये गीत कुछ इस इरादे से लिखा कि पंजाबी का गाना बन सके ....

डीवा बाल के चुबारे उत्ते रक्खाँ
जिया बाल के हनेरे उत्ते रक्खां
मेरे माही ते चानणे दा रंग इक
कदे नच्चाँ ते कदे मैं टप्पाँ


1.ओ चढ़दा ऐ पूरब पासेओं
दिल दी पतली गली दे रा तों
चुम लैन्दा ऐ बदली सारी
मेरे अरमाँ दी बाँ फड़ फड़ के


२.राताँ कट्टा मैं नाले उडीकाँ
पन्गे लवाँ मैं नाल हवावाँ
आसाँ दियाँ पीन्गा पावाँ
माही आवे ते नाल झुलावे


३.शर्म हया दियाँ सारियाँ गल्लाँ
कह छड़दियाँ ने मेरियाँ अक्खाँ
केडे पासे मैं जाके लुक्कां
चारों पासे ने चानणे उसदे



इसका हिंदी अनुवाद है


दिया जला के चौबारे के ऊपर रखूँ

जिया जला के अँधेरे के ऊपर रखूँ
मेरे सनम और उजाले का रंग है एक
कभी नाचूँ और कभी मैं कूदूँ


१. वो चढ़ता है पूरब की ओर से
दिल की पतली गली की राह से
चूम लेता है बदली सारी

मेरे अरमानों की बाँह पकड़ पकड़ के

२.रातें काटूं मैं साथ इंतज़ार के
पन्गे लूँ मैं साथ हवाओं के
आशाओं के झूले डालूँ
सनम आये और साथ झुलाए


३.शर्म हया की सारी बातें
कह देतीं हैं मेरी आँखें
किस तरफ मैं जाकर छुपूँ
चारों ओर हैं उसके उजाले

3 टिप्‍पणियां:

समय चक्र ने कहा…

ओ चढ़दा ऐ पूरब पासेओं
दिल दी पतली गली दे रा तों
पजाबी गीत बढ़िया लगा . पढ़कर आनंद आ गया . आभारी हूँ शारदा जी

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

batti baal ke banere utte rakhaddi han..
kitte bhul n jae chaan mera....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

जितना अच्छा पंजाबी गीत,
उतना ही अच्छा अनुवाद।
बधाई स्वीकार करें।