ले चल मुझको तू पार जरा
तिनका है बना पतवार कहीं
चलना है धारा के सँग-सँग
हूँ बीच नहीं मझधार कहीं
डगमगाया है तूफाँ ने जितना
उतना ही तू दमदार कहीं
चाहत ले आती है रँग इतने
इस रौनक का तू हक़दार कहीं
चिड़ियाँ चहचहाती हैं तो जरुर
सुबह किनारे की है तरफदार कहीं
जगते बुझते तेरे हौसलों में
चाहत का ही कारोबार कहीं
छोटा अणु ही तो इकाई है
परमाणु का सूत्रधार कहीं
जगते बुझते तेरे हौसलों में
जवाब देंहटाएंचाहत का ही कारोबार कहीं
बहुत खूब, ये पंक्ति दिल को छु गयी।
बहुत ही सुन्दर है ......आपकी भावपुर्ण यह प्रस्तुति .......बधाई!
जवाब देंहटाएंले चल मुझको तू पार जरा
जवाब देंहटाएंतिनका है बना पतवार कहीं
चलना है धारा के सँग-सँग
हूँ बीच नहीं मझधार कहीं
गीत की माला में आपने
शब्दों को मोतियों की भाँति पिरो दिया है।
बधाई!
छोटा अणु ही तो इकाई है
जवाब देंहटाएंपरमाणु का सूत्रधार कहीं
bahut khoob, umda , badhaai.
ले चल मुझको तू पार जरा तिनका है बना पतवार वहां
जवाब देंहटाएंबहुत बड़िया