पर रन्ज न रखना तुम दिल में , मेरे लिए
कह पाते नहीं जब ज़ज्बात दिल के
तुम नज़रों की भाषा पढ़ लेना
तोहफों की कीमत आँकों मत
जो खो जाएँ तो फिर न मिलें
कुछ ऐसे तोहफे बाँटो न
रन्ज न रखना तुम दिल में , मेरे लिए
मत आना किसी की बातों में
अपने ही दिल की खुराफातों में
इस दूरी को तुम पाटो न
रन्ज न रखना तुम दिल में , मेरे लिए
नज़रों को बचा कर चलना मत
नज़रों के सन्देशे पहुँचेंगे
रूठे को मनाना मुमकिन न
रन्ज न रखना तुम दिल में , मेरे लिए
शारदा जी, आदाब
जवाब देंहटाएं.......तुम नज़रों की भाषा पढ़ लेना
........मत आना किसी की बातों में
अपने ही दिल की खुराफातों में.....
......नज़रों को बचा कर चलना मत
नज़रों के सन्देशे पहुँचेंगे.....
सिर्फ
एक ही शब्द
बार बार.....
वाह.! वाह.!! वाह.!!!
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
मत आना किसी की बातों में
जवाब देंहटाएंअपने ही दिल की खुराफातों में
इस दूरी को तुम पाटो न
रन्ज न रखना तुम दिल में , मेरे लिए ..
बहुत ही खूब लिखा है ........ पर दूरी तो ख़त्म जल्दी होनी चाहिए ........
badhia rachna.
जवाब देंहटाएंमत आना किसी की बातों में
जवाब देंहटाएंअपने ही दिल की खुराफातों में
इस दूरी को तुम पाटो न
रन्ज न रखना तुम दिल में , मेरे लिए
bahut khoob .
नज़रों को बचा कर चलना मत
जवाब देंहटाएंनज़रों के सन्देशे पहुँचेंगे
रूठे को मनाना मुमकिन न
रन्ज न रखना तुम दिल में , मेरे लिए...ू
बहुत सुन्दर!
कह पाते नहीं जब ज़ज्बात दिल के
जवाब देंहटाएंतुम नज़रों की भाषा पढ़ लेना
सही कहा है जी
बहुत ही खुबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
मत आना किसी की बातों में
जवाब देंहटाएंअपने ही दिल की खुराफातों में
इस दूरी को तुम पाटो न
रन्ज न रखना तुम दिल में , मेरे लिए
Kaisi bhavuk iltija hai!