शुक्रवार, 28 मई 2010

आदमी की अना

चाहते हुए भी वो सब दिख जाता है , फिर लफ्जों में उतरना लाजिमी है ...

क़द से ऊँची है आदमी की अना
ऊँचाई पर भी बौना ही हुआ

नजर-अन्दाज़ करके करते हैं फना
अन्दाज़ कितना शातिराना हुआ

उसके मन की उपज , उसका समाँ
अपना मौसम है जुदा , मेल ही न हुआ

किस से पूछे सवाल अपनी आशना
उसकी आँख का पानी भी अजनबी हुआ

16 टिप्‍पणियां:

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

सच्चे भावों को शब्दों की माला में पिरो दिया गया है
,
क़द से ऊँची है आदमी की अना

बहुत सटीक बात है

संजय भास्‍कर ने कहा…

आप बहुत सुंदर लिखती हैं. भाव मन से उपजे मगर ये खूबसूरत बिम्ब सिर्फ आपके खजाने में ही हैं

pallavi trivedi ने कहा…

very nice....

Ra ने कहा…

क़द से ऊँची है आदमी की अना
ऊँचाई पर भी बौना ही हुआ....fir se behtreen

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

बहुत अच्छा लगा

सदा ने कहा…

सुन्‍दर शब्‍दों के साथ अनुपम प्रस्‍तुति, आभार ।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

क़द से ऊँची है आदमी की अना
ऊँचाई पर भी बौना ही हुआ.......
किस से पूछे सवाल अपनी आशना
उसकी आँख का पानी भी अजनबी हुआ.....

अपनों के बेगानेपन के बारे में.......
बहुत कुछ.....
या जैसे सब कुछ बयान कर दिया आपने.

kshama ने कहा…

Zindagi jeeke use is tatasthtase dekhna yah bada fan hai...

Dr. C S Changeriya ने कहा…

किस से पूछे सवाल अपनी आशना
उसकी आँख का पानी भी अजनबी हुआ

sahi he

badhai aao ko is ke liye

अर्चना तिवारी ने कहा…

किस से पूछे सवाल अपनी आशना
उसकी आँख का पानी भी अजनबी हुआ

बिलकुल सच्ची बात ...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

क़द से ऊँची है आदमी की अना
ऊँचाई पर भी बौना ही हुआ ..

सच है बहुत उँचाई पर जाने से सब बौने हो जाते हैं ..........

कविता रावत ने कहा…

किस से पूछे सवाल अपनी आशना
उसकी आँख का पानी भी अजनबी हुआ
.....laajawab!
Haardik shubhkamnayne

शोभना चौरे ने कहा…

bahut khoob

Asha Joglekar ने कहा…

क़द से ऊँची है आदमी की अना
ऊँचाई पर भी बौना ही हुआ .
Bahut khoob.

अर्चना तिवारी ने कहा…

बहुत सुंदर ग़ज़ल...मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया