चिकनी सतह पर नहीं टिकता कुछ भी
ज़िन्दगी तेज चली खुशनुमा सफ़र में तो
भारी वक़्त जैसे रेंग कर रुक गया हो अभी
सारी साजिशें हैं मिट्टी में मिला देने की
कुछ बच रहूँ तो निशाँ बोलें कभी
फ़ना होता है जब भी कोई
जादुई से टुकड़े बोल उठते हैं सभी
गुजर गया कारवाँ तो
धडकनों का सबब बाकी अभी
सफ़र के हिचकोलों में दोहरे हुए
गोल हुए , तराशे गए हैं सभी
sabhee sher ek se bad kar ek hai.
जवाब देंहटाएंLajawab .
ज़िन्दगी तेज चली खुशनुमा सफ़र में तो
जवाब देंहटाएंभारी वक़्त जैसे रेंग कर रुक गया हो अभी
Laga jaise mere man ko padh ke likha ho...waise to harek lafz zindagee kaa tajruba bakhaan kar raha hai..aur kya kahun? Bahut dinon baad apne likha...hamesha intezaar rahta hai..!
क्षमा जी ,
जवाब देंहटाएंकहने को बहुत कुछ है अपने पास , दुखती रगों को न छेड़िए, मन तन्हा है , झोली खाली है अभी ...
नैनीताल जैसी जगह ...पिछले दिनों मेहमानों के साथ व्यस्त थी ...फिर भी सफ़र के सजदे पर एक कविता पोस्ट की थी ।
शारदा
इतनी अच्छी रचना के लिए आपको बहुत बधाई !!
जवाब देंहटाएंsundar bhavpoorna rachna.
जवाब देंहटाएंवाह...बेहतरीन...
जवाब देंहटाएंनीरज
sunder abhivyakti.
जवाब देंहटाएंवाह !!!!!!!!क्या बात कही है बिलकुल सच और दिल के क़रीब
जवाब देंहटाएंफ़ना होता है जब भी कोई
जवाब देंहटाएंजादुई से टुकड़े बोल उठते हैं सभी
बहुत खूबसूरत....
फ़ना होता है जब भी कोई
जवाब देंहटाएंजादुई से टुकड़े बोल उठते हैं सभी
शारदा जी सुंदर रचना....
मैं पहली बार आई हूँ आपके ब्लॉग पर...और आपके बात कहने के अंदाज़ पर दाद देती हूँ...
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावित हुई हूँ...
आपने मेरे ब्लॉग पर आकर मेरा मान बढाया है...
धन्यवाद...
फ़ना होता है जब भी कोई
जवाब देंहटाएंजादुई से टुकड़े बोल उठते हैं सभी ...
आपके कहने का अंदाज़ बहुत जुदा है ... लाजवाब ...
आया भला विलम्ब से लेकिन ठहर गया..कहाँ खूब है..ताज़ा दम हुए..लगा संवेदनाएं अभी जीवित है..लिखती रहें..
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी तेज चली खुशनुमा सफ़र में तो
जवाब देंहटाएंभारी वक़्त जैसे रेंग कर रुक गया हो ....badhiya