बुत बने बैठे हैं मगर जिन्दा हैं
झाँक के देखा है अन्दर कोई शर्मिन्दा है
भलमन-साहत को नासमझी समझ लेते हैं लोग
भटकना मुश्किल है जमीर जिन्दा है
उठ गया कारवाँ साथ हसरतों के ही
सो गया सब कुछ गुबार जिन्दा है
घड़ी की तरह चलती हैं धडकनें
रुकी नहीं हैं सामान जिन्दा है
मन्दिर-मस्जिद भी गए , वो बोलता ही नहीं
ज़माने में मगर उसका करम जिन्दा है
कहाँ से लाऊँ बुतों की बस्ती में खुदा
तलाश जारी है , ख्याल जिन्दा है
झाँक के देखा है अन्दर कोई शर्मिन्दा है
भलमन-साहत को नासमझी समझ लेते हैं लोग
भटकना मुश्किल है जमीर जिन्दा है
उठ गया कारवाँ साथ हसरतों के ही
सो गया सब कुछ गुबार जिन्दा है
घड़ी की तरह चलती हैं धडकनें
रुकी नहीं हैं सामान जिन्दा है
मन्दिर-मस्जिद भी गए , वो बोलता ही नहीं
ज़माने में मगर उसका करम जिन्दा है
कहाँ से लाऊँ बुतों की बस्ती में खुदा
तलाश जारी है , ख्याल जिन्दा है
कित्ती प्यारी ग़ज़ल...बधाई.
जवाब देंहटाएं________________________
'पाखी की दुनिया' में 'लाल-लाल तुम बन जाओगे...'
मन्दिर-मस्जिद भी गए , वो बोलता ही नहीं
जवाब देंहटाएंज़माने में मगर उसका करम जिन्दा है
बहुत गहरी बात ....इन्सान मर जाता है उसके करम जिन्दा रहते हैं ....
आपको तो हिंद युग्म से पढ़ती आ रही हूँ शारदा जी ....पर इधर आ ही नहीं पाई .....
बहुत बढिया गजल हैं बधाई।
जवाब देंहटाएंमन्दिर-मस्जिद भी गए , वो बोलता ही नहीं
ज़माने में मगर उसका करम जिन्दा है
ग़ज़ल के सभी शेर शानदार...
जवाब देंहटाएंऔर हां......
उठ गया कारवाँ साथ हसरतों के ही
सो गया सब कुछ गुबार जिन्दा है
ये शेर हुआ हमारी पसंद.
कहाँ से लाऊँ बुतों की बस्ती में खुदा
जवाब देंहटाएंतलाश जारी है , ख्याल जिन्दा है
बहुत ही खूबसूरत गज़ल .
शारदा जी आपके लिए कुछ खास लिखा है चर्चा मंच पर...जरूर आइयेगा...और जानिए खुद को..
जवाब देंहटाएंआप की रचना 06 अगस्त, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.
http://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका
कहाँ से लाऊँ बुतों की बस्ती में खुदा
जवाब देंहटाएंतलाश जारी है , ख्याल जिन्दा है
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गजल के सभी शेर बहुत ही अच्छे हैं
सुन्दर भावों से भरी हुयी........है आपकी गजल .
जवाब देंहटाएंबहुत गहरे भाव लिए गजल |मन को छू गई |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत बढिया गजल हैं बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंकहाँ से लाऊँ बुतों की बस्ती में खुदा
जवाब देंहटाएंतलाश जारी है , ख्याल जिन्दा है
बहुत खूबसूरत.
khushfahmee nahi...wakai bahut hi sundar likha hai aapne :)
जवाब देंहटाएंआपकी इस गज़ल के लिये तो मुझे शब्द नही मिल रहे………………हर शेर झकझोर देने को मजबूर करता है…………………निहायत ही उम्दा और प्रेरक्।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गज़ल है आप कि !
जवाब देंहटाएंmam apki gazal har ek ko sochne pe majboor kar degi ...sirf lafj nahi unki gahrai bhi hai
जवाब देंहटाएंthank's mam
main bhi apni galtiyon ka sudhar karoonga
बहुत ही अच्छी ग़ज़ल ........
जवाब देंहटाएंवैसे तो किसी एक शेर की तारीफ़ करना मुनासिब नहीं लगता क्योंकि सभी एक से एक हैं ..
कहाँ से लाऊँ बुतों की बस्ती में खुदा
तलाश जारी है , ख्याल जिन्दा है
ये शेर तो लाज़वाब है ......
bahut hee sundar gajal ..
जवाब देंहटाएंwah ! bahut hi khoob..
जवाब देंहटाएंtalaash jaari hai, khayal jinda hai.. Wah!
Meri Nayi Kavita Padne Ke Liye Blog Par Swaagat hai aapka......
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