शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

अहसास की स्याही


रिश्तों की अमीरी अक्सर 
आड़े वक्त में अँजुरि से झर जाया करती है
 
न ज़ुदा करना ज़मीन से किसी को 
वरना पनपते नहीं ,जड़ें भी मर जाया करती हैं
 
सलोनी सूरत भी जो गिर जाये नजरों से 
तो दिल से उतर जाया करती है 

लहज़ा बता देता है रिश्ते की गहराई 
यूँ ही नहीं संवेदनाएँ मर जाया करती हैं 

सबको तौल रहे हो एक ही तराजू पर 
ये खुमारी भी वक्त के साथ उतर जाया करती है
 
ऐ मौत के मुसाफिर ,उल्टी गिनती है साँसों की 
ज़िन्दगी पकड़ने की खातिर ही ,उम्र गुजर जाया करती है 

कोई पहलू नहीं रहता अछूता कलम के हाथों से 
अहसास की स्याही पन्नों पर बिखर जाया करती है
 
सूरज तो हरदम है सफर पर अपने 
भर लो मुठ्ठी ,किरणें घर-घर जाया करती हैं 

10 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (10-01-2021) को   ♦बगिया भरी बबूलों से♦   (चर्चा अंक-3942)   पर भी होगी। 
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
--हार्दिक मंगल कामनाओं के साथ-    
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सादर...! 
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
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Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना आज शनिवार 9 जनवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,

Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल ने कहा…

सुन्दर सृजन।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

मन की वीणा ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन।
मनभावन।

सधु चन्द्र ने कहा…

वाह! बहुत सुंदर सृजन।
सादर।

Onkar ने कहा…

सुंदर रचना

muhammad solehuddin ने कहा…

nice info!! can't wait to your next post!
comment by: muhammad solehuddin
greetings from malaysia

बेनामी ने कहा…

Bahut shukriya , meri bahut sari rachnayen blog par pahle se hi available hain .
Sharda Arora

Info UMJ ने कहा…

nice info
Info UMJ